राजधानी चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा आमने सामने आ गए हैं. दरअसल, पंजाब विधानसभा में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को पंजाब में शामिल करने का प्रस्ताव पास हुआ था. अब इसे लेकर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि उन्हें चंडीगढ़ को लेकर पंजाब विधानसभा में पास संकल्प मंजूर नहीं है. इतना ही नहीं उन्होंने केंद्र से अपील की है कि चंडीगढ़ को लेकर ऐसा कोई कदम न उठाया जाए, जिससे संतुलन बिगड़े.
मनोहर लाल खट्टर ने कहा, यह सदन पंजाब की विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर गहन चिंता प्रकट करता है, जिसमें सिफारिश की गई है कि चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित करने के मामले को केंद्र के साथ उठाया जाए.
खट्टर ने कहा, ऐसे में यह सदन केंद्र से अपील करता है कि वह ऐसा कोई कदम न उठाए, जिससे मौजूदा संतुलन बिगड़ जाए और जब तक पंजाब के पुनर्गठन से उत्पन्न सभी मुद्दों का समाधान न हो जाए, तब तक सद्भाव बना रहे. यह सदन केंद्र सरकार से यह अपील भी करता है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनुपालना में सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण के लिए उचित उपाय करे.
जानिए क्या है हरियाणा और पंजाब के बीच विवाद?
केंद्र सरकार ने हाल ही में चंडीगढ़ में पंजाब सर्विस रूल की जगह केंद्र के सर्विस रूल लागू किये. इसके बाद पंजाब की AAP सरकार ने चंडीगढ़ को पंजाब को हस्तांतरित करने के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसपर हरियाणा सरकार भड़क गई.
हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी है चंडीगढ़
28 मार्च 1948 को चंडीगढ़ का निर्माण किया गया था. 1953 में चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाया गया था. इससे पहले शिमला भी पंजाब की राजधानी थी. हालांकि, वहीं आजादी से पहले पंजाब की राजधानी लाहौर हुआ करती थी. 1947 में जब बंटवारा हुआ तो लाहौर पाकिस्तान में चला गया.
1966 में हरियाणा बना तो चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाते हुए इसे दोनों की राजधानी बना दिया गया. इसकी प्रॉपर्टी पर भी दोनों का 60-40 फीसदी का अधिकार था. चंडीगढ़ को पूरी प्लानिंग के साथ बनाया गया था. चंडीगढ़ आज दुनिया के सबसे आधुनिक शहरों में गिना जाता है.
उस वक्त हरियाणा से कहा गया था कि जबतक उसकी नई राजधानी नहीं बन जाती तब तक चंडीगढ़ ही उसकी भी राजधानी होगी. चंडीगढ़ को उस समय दोनों राज्यों की राजधानी इसलिए बनाया गया था, क्योंकि उस समय चंडीगढ़ के पास ही प्रशासनिक ढांचा था.