जेएनयू से जुड़े रहे शहीद कैप्टन पवन कुमार का मानना था कि देश के लिए प्यार होना ज्यादा महत्वपूर्ण बात है न कि कैंपस में ‘आजादी’ की मांग करना या उनके जाट समुदाय की ओर से हरियाणा में ‘आरक्षण’ की मांग करना.
स्पेशल फोर्स में अधिकारी रहे 23 वर्षीय कैप्टन ने 20 फरवरी को अपने आखिरी फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘किसी को आरक्षण चाहिए तो किसी को आजादी भाई. हमें कुछ नहीं चाहिए भाई, बस अपनी रजाई.’ जम्मू-कश्मीर के पंपोर में रविवार को आतंकियों के खिलाफ मुठभेड़ के दौरान कैप्टन पवन शहीद हो गए.
तीन साल पहले हुए थे भर्ती
कैप्टन पवन तीन साल पहले ही पैरा कमांडो के तौर पर सेना में भर्ती हुए थे. जेएनयू और एनडीए के बीच एक सहमति कार्यक्रम के तहत उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से स्नातक किया था. उन्होंने इस विश्वविद्यालय से भी डिग्री हासिल की थी.
ऑपरेशन के दौरान की थी टीम की अगुवाई
रविवार रात एक सात मंजिला इमारत में मुठभेड़ के दौरान 10 पैरा स्पेशल फोर्सेज के अधिकारी कैप्टन पवन ने अपने पूरे दल का नेतृत्व किया था. इस इमारत को कम से कम तीन आतंकियों ने अपने कब्जे में लिया हुआ था. सेना ने उन्हें एक ‘प्रेरणादायी नेतृत्वकर्ता’ बताया है. वह पहले एक आतंकरोधी अभियान में घायल होने के बाद स्वेच्छा से अन्य अभियानों में गए थे.
वह हरियाणा के जींद से जुड़े थे, जहां जाट आरक्षण के लिए आंदोलन चला रहे हैं. उनकी फेसबुक प्रोफाइल उनके जीवन के बारे में काफी जानकारी देती है. उनकी प्रोफाइल में उनकी जीप और मोटरसाइकिल से जुड़ी कई तस्वीरें हैं और उनके कुत्ते टाइसन की भी तस्वीरें हैं.