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जिस घर में होना था गृहप्रवेश, उसके आंगन में जली शहीद की चिता

शहीद मंदीप के परिवार को जहां उनके शहीद होने पर गर्व है, वहीं पाकिस्तान के उग्रवादियों द्वारा उनके पार्थिव शरीर को क्षत-विक्षत करने से बहुत बड़ा आक्रोश है.

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शहीद मंदीप सिंह
शहीद मंदीप सिंह

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शुक्रवार को देश की आन की रक्षा करते समय शहीद हुए सिपाही मंदीप सिंह को दिवाली के मौके पर अंतिम विदाई दी गई. शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए जनसैलाब उमड़ा. इस दौरान लोगों में पाकिस्तान के प्रति भारी आक्रोश देखा गया. एक तरफ पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए गए, तो दूसरी तरफ शहीद मंदीप सिंह अमर रहे के नारे गुंजते रहे.

हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के आंतेहहड़ी गांव में पले-बढ़े शहीद मंदीप सिंह का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था. पिता के पास खेती के लिए मामूली जमीन थी, ऐसे में परिवार को पालने के लिए उन्हें ट्रक चलाना पड़ा. पिता आज भी ट्रक चालक हैं. बेटा सेना (सिख रेजीमेंट) में भर्ती होकर परिवार का सहारा बन गया. रहने को घर नहीं था, तो सबसे बड़ा सपना अपना आशियाना बनाने का था. दीवाली पर नए घर में गृहप्रवेश था. लेकिन, विडंबना देखिए जिस घर को बड़े सपनों से बनाया था, उसकी बगल में महज दो मीटर की दूरी पर ही शहीद मंदीप की चिता जलाई गई.

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शहीद मंदीप के परिवार को जहां उनके शहीद होने पर गर्व है, वहीं पाकिस्तान के उग्रवादियों द्वारा उनके पार्थिव शरीर को क्षत-विक्षत करने से बहुत बड़ा आक्रोश है. शहीद के साथ हुए अत्याचार को ले कर बड़े भाई संदीप का खून खौल रहा है. आंखों में आंसू लिए बड़े भाई ने अब ठान लिया है कि जब तक वह छोटे भाई के साथ की गई बर्बरता का बदला नही ले लेगा, तब तक चैन से नहीं बैठेगा.

गौरतलब है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने सीजफायर तोड़कर अब तक भारत के सात सैनिकों की जान ली है. हरियाणा में एक हफ्ते के दौरान शहीद की दूसरी चिता जलाई गई. हालांकि, सरकार ने मदद की घोषणा की है, लेकिन दीवाली के मौके पर कई घरों के चिराग बुझा दिए गए हैं. मंदीप सिंह की पत्नी प्रेरणा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वह पाकिस्तान को सबक सिखाए, ताकि भविष्य में किसी भी परिवार की दीवाली काली ना हो.

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