हरियाणा में भयंकर लापरवाही की वजह से कभी भी बिहार जैसा ही मिड-डे मील हादसा हो सकता है.
हरियाणा सरकार द्वारा शुरू की गई मिड-डे मील योजना के तहत सभी सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक के बच्चों को स्कूल में ही खाना मिलता है. लेकिन साफ-सफाई के पुख्ता इंतजाम के अभाव में नन्हे बच्चे खराब भोजन करने को मजबूर हैं.
बिहार के हादसे के बाद बाद जब हिसार के कुछ स्कूलों की पड़ताल की गई, तो पाया गया कि न तो स्कूलों में अनाज रखने की सही व्यवस्था है और न ही भोजन बनाने की लिए रसोई आदि की व्यवस्था. अनाज में कीड़े लगे हुए हैं और यह चूहों की गंदगी भरी पड़ है. टीचर इसे सरकार की लापरवाही बता रहे हैं.
हरियाणा सरकार ने स्कूलों में बच्चों को भोजन देने का तो प्रबंध कर दिया, लेकिन अनाज के भंडारण के लिए कोई खास कदम नहीं उठाया. इसी से आधे से ज्यादा अनाज खराब हो जाते हैं. स्कूलों ने अपनी तरफ से अनाज को सुरक्षित करने के इंतजाम किए है. दूसरी ओर, गैस सिलेंडर न होने के कारण खाना बाहर ही खुले में चुल्हे पर पकाया जाता है.
इतना ही नहीं स्कूल का एक अध्यापक तो अनाज की देखभाल में ही लगा रहता है, जिससे बच्चों की पढाई पर काफी असर पडता है. ऐसे में मांग की जा रही है कि सरकार को मिड-डे मील योजना किसी निजी संस्था के अधीन कर देना चाहिए, जिससे बच्चों को खाना भी साफ मिल सके और उनकी पढा़ई पर भी कोई असर न पडे.