हरियाणा के शिक्षक भर्ती घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला को अदालत ने 10 साल कैद की सजा सुनाई है. चौटाला व अजय के अलावा प्राथमिक शिक्षा के तत्कालीन निदेशक संजीव कुमार, चौटाला के साथ विशेष सेवा पर तैनात पूर्व अधिकारी विद्याधर व चौटाला के राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बदशामी को भी जेल की सजा सुनाई गई. सजा सुनाए जाने के कुछ समय बाद ही चौटाला समर्थकों ने अदालत परिसर में पथराव किया.
चौटाला व उनके बेटे अजय दोनों ही हरियाणा से विधायक हैं. दोनों को राज्य में 3,000 से ज्यादा जेबीटी शिक्षकों की अवैध भर्ती के मामले में 16 जनवरी को हिरासत में लिया गया था.
अदालत ने 53 अन्य को भी इस घोटाले में अभियुक्त बनाया है. चौटाला, उनके बेटे व अन्य को भारतीय दंड संहिता व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी पाया गया है.
अदालत ने उनके खिलाफ आईपीसी व पीसीए की 120-बी (आपराधिक षडयंत्र), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) और 471 (वास्तविक की जगह जाली दस्तावेज का इस्तेमाल) धाराओं के तहत आरोप तय किए थे.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल साल 1999-2000 में हरियाणा के 18 जिलों में 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती की गई थी. आरोप है कि तय मानकों को ताक पर रखकर तब मनचाहे लोगों की भर्ती की गई. सरकार ने भर्ती की जिम्मेदारी कर्मचारी चयन आयोग से लेकर जिला स्तर पर गठित समितियों को सौंप दी, इन समितियों ने फर्जी साक्षात्कार के आधार पर चयन सूची तैयार कर ली.
सीबीआई ने साल 2004 में मुख्यमंत्री चौटाला समेत 62 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. अदालत में हुई गवाहियों से ये साबित हुआ कि जेबीटी भर्ती के लिए उम्मीदवारों से 3 से 5 लाख रुपये तक की रिश्वत ली गई थी.
इस बीच दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती 78 साल के चौटाला ने अपील की है कि उन्हें अपने साथ दो असिस्टेंट रखने की इजाजत दी जाए. अदालत ने इस बारे में जेल सुपरिंटेंडेंट से जानकारी मांगी है. इसके पहले चौटाला ने इलाज के लिए गुड़गांव मेदांता अस्पताल में भेजे जाने की अपील की थी, जिसे विशेष अदालत ने खारिज कर दिया.
तिहाड़ में बंद अजय चौटाला ने भी कोर्ट से अपील की थी कि उन्हें घर का पका खाना मंगाने की इजाजत दी जाए. अजय चौटाला ने कोर्ट से सोने की चेन पहनने की भी इच्छा जाहिर की है. अजय चौटाला उस वक्त भिवानी से सांसद थे और आरोप है कि उनके लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों को घोटाले में प्राथमिकता दी गई थी.