सतलोक आश्रम में भारी तादाद में हथियारों की बरामदगी और कोर्ट की अवमानना मामले में रामपाल को 28 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. इससे पहले रामपाल को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पेश किया गया. रामपाल के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज है. इसके अलावा उस पर हत्या और हत्या की कोशिश का भी आरोप है.
कोर्ट में लाने से पहले रामपाल को पंचकुला सेक्टर 5 के थाने में ले जाया गया. जहां वह थोड़ी देर तक सलाखों के पीछे भी रहा. अदालत लाए जाने के दौरान रामपाल की हूटिंग भी हुई.
इससे पहले, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 2006 के मर्डर केस में रामपाल की जमानत रद्द कर दी. डिवीजन बेंच ने रोहतक मर्डर केस में रामपाल को दी गई जमानत रद्द करते हुए कहा कि उन्हें 2 बजे तक कोर्ट में पेश होना होगा. गौरतलब है कि रामपाल 2 अप्रैल 2008 को रामपाल को इस मामले में जमानत दी गई थी.
अब तक 459 लोग गिरफ्तार
हरियाणा के डीजीपी एसएन वशिष्ठ ने गुरुवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि रामपाल मामले में 459 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. रामपाल के खास सहयोगी बलजीत और उसकी बेटी बबीता को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने बताया कि बबीता के कब्जे से लैपटॉप, हार्ड डिस्क, मोबाइल, सीडी आदि बरामद किए गए हैं.
डीजीपी ने बताया कि सतलोक आश्रम को पूरी तरह से खाली करा लिया गया है. उन्होंने कहा, आश्रम की अच्छी तरह तलाशी में 1-2 दिन लगेंगे. पुलिस ने हत्या के मामले में दो एफआईआर भी दर्ज की हैं. एफआईआर नंबर 429-430 भी बरवाला थाने में दर्ज की गई हैं. इन मुकदमों में 6 लोगों की हत्या का आरोप रामपाल और उसके सहयोगियों पर है. गिरफ्तार लोगों में 118 राजस्थान और 116 हरियाणा के हैं.
मैंने कुछ नहीं कियाः रामपाल
इस बीच पुलिस रामपाल को थाने ले गई है. पंचकुला अस्पताल से बाहर निकलते वक्त रामपाल ने मीडिया से कहा, 'मेरे ऊपर लगे सभी आरोप झूठे हैं. मैंने कुछ नहीं किया.'
इससे पहले, रामपाल को पुलिस ने बुधवार रात करीब साढ़े 9 बजे हिसार के सतलोक आश्रम से गिरफ्तार किया . गिरफ्तारी के बाद रामपाल को पंचकुला ले जाया गया. पंचकुला ले जाते ही रामपाल का मेडिकल टेस्ट कराया गया. रामपाल मेडिकल टेस्ट के लिए खुद चलकर पहुंचा था. डॉक्टरों के मुताबिक रामपाल की हालात सामान्य है.
रामपाल के थे नक्सलियों से लिंक!
हरियाणा पुलिस की मानें तो संत रामपाल के समर्थकों ने पेट्रोल बम बनाना और हथियार इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग एक नक्सली से ली थी. हरियाणा पुलिस ने इस साल अगस्त महीने में महावीर सकलानी नाम के शख्स को गिरफ्तार किया. वह कथित तौर पर सीपीआई (माओवादी) संगठन का सब एरिया कमांडर था. गुड़गांव में गिरफ्तार किए जाने से पहले वह रामपाल के बरवाला स्थित आश्रम में रहता था. जब हरियाणा पुलिस ने मंगलवार को सतलोक आश्रम में छापेमारी शुरू की तो आश्रम की बनावट और रामपाल के समर्थकों की ताकत के बारे में जानने के लिए सकलानी से पूछताछ की. पुलिस मानती है कि सकलानी ने ही आश्रम के कैंपस को किलानुमा बनाने में मदद की. उसने ही रामपाल के समर्थकों को पेट्रोल बम बनाना और हथियार चलाना सिखाया.
रामपाल जैसे लोगों का बहिष्कार होः बाबा रामदेव
योग गुरु बाबा रामदेव ने बड़े ही तल्ख शब्दों में संत रामपाल के निंदा की. उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के साधु, संतों, योगी आदि की एक बहुत पावनी परंपरा रही है. उसमें हिंसा, झूठ, फरेब का ना कोई स्थान था, ना कोई स्थान है और ना ही कोई स्थान रहेगा. जो भी अपनी संस्कृति को दूषित करने का किसी भी रूप में कार्य कर रहे हैं, वो देश को कतई स्वीकार नहीं है. देश के लोगों को ऐसे लोगों को बहिष्कार करना चाहिए.
शायद ही किसी ने सोचा होगा कि कभी हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी करने वाला रामपाल सरकार और सिस्टम को हिलाकर रख देगा. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि जूनियर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर कबीर की राह पर चलने का ढोंग करने वाले रामपाल पर कानून और अदालत को खुली चुनौती देगा.
करीब 20 साल पहले तक रामपाल हरियाणा सरकार का मुलाजिम हुआ करता था, लेकिन एक दिन इस्तीफा देकर कूद पड़ा धर्म और अध्यात्म का कारोबार करनेय और फिर देखिए 20 साल के भीतर उसने अपना साम्राज्य इस कदर फैलाया कि सरकार, सिस्टम और संविधान को चुनौती देने के लिए अपने सतलोक आश्रम के भीतर हजारों समर्थकों की फौज और हथियारों से लैस प्राइवेट आर्मी जुटा ली.
जूनियर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर रामपाल ने जब संतगीरी शुरु की और अपने समर्थक जुटाता रहा. लेकिन अपनी ताकत बढ़ाने के लिए उसने कई गैर कानूनी रास्ते भी अख्तियार किए. जमीन हथियाए और वसूली भी की.
रामपाल को सलाखों के पीछे लाने में सरकार को पुलिस की फौज लगानी पड़ी और पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी. बाबा का सुरक्षा घेरा और उसकी प्राइवेट आर्मी ने पुलिस के सिर पर पसीना ला दिया.
करीब दो दिनों तक एक तरह से रामपाल की सेना से जंग लड़ती रही पुलिस. और रामपाल आश्रम के भीतर समर्थकों के बीच छिपा बैठा रहा. उसके प्राइवेट कमांडो पुलिस के सामने डटे रहे. पुलिस प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी. समर्थकों को आश्रम के बाहर निकाला और स्वयंभू संत को आश्रम के भीतर घुसकर दबोच लिया.