हरियाणा की जननायक जनता पार्टी का राजस्थान के सीकर से पुराना नाता रहा है. साल 1989 में उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल सीकर से ही चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. उसके बाद अजय सिंह चौटाला सीकर जिले की दातारामगढ़ सीट से 1990 में चुनाव जीतकर राजस्थान विधानसभा में पहुंचे थे. अब जेजेपी को सीकर जिला सबसे मजबूत लग रहा है. वजह है कि यहां से चौटाला परिवार के सदस्य लोकसभा और विधानसभा में प्रतिधिनित्व कर चुके हैं.
राजस्थान में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, तमाम राजनीतिक दल अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं, लेकिन गौर करने वाली बात है कि जाटलैंड के रूप में पहचान रखने वाली शेखावाटी में बीते कुछ दिनों से जननायक जनता पार्टी प्रभावी ढंग से सक्रिय है.
सियासी जानकारों का मानना है कि चौटाला परिवार का सीकर से एक जुड़ाव रहा है. पूर्व उप प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी देवीलाल सीकर से सांसद रह चुके हैं तो वहीं चौटाला परिवार से ही अजय सिंह चौटाला जनता दल से 1990 में सीकर के दातारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं. ऐसे में चौटाला परिवार का लोकसभा और विधानसभा दोनों से जुड़ाव रहा है और यहां के लोगों का राजनीतिक रूप से भी उनसे जुड़ाव रहा है.
शेखावाटी की दो सीटों पर जेजेपी की नजर
फिलहाल समीकरण की अगर बात करें तो सीकर के फतेहपुर और दातारामगढ़ विधानसभा में जननायक जनता पार्टी प्रभावी ढंग से कार्य करने में जुटी है. बीजेपी के लिए फतेहपुर आसान सीट नहीं है, ऐसे में जेजेपी से जुड़कर यहां से विधायक रह चुके नंदकिशोर महरिया टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि बीजेपी इस सीट को गठबंधन में जेजेपी को दे दे.
वहीं दूसरी सीट दातारामगढ़ की बात करें तो यहां वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के वीरेंद्र सिंह चौधरी विधायक हैं, लेकिन उनकी पत्नी रीटा चौधरी अब जेजेपी में शामिल हो गई हैं. उन्हें महिला विंग का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर जेजेपी ने बड़ा दांव खेला है. दातारामगढ़ सीट से रीटा चौधरी भी चुनाव लड़ना चाहती हैं. सियासी हल्कों में चर्चा है कि यहां से भी बीजेपी के लिए सीट जीतना आसान नहीं है. ऐसे में जेजेपी को समझौते में यह सीट भी मिल सकती है और रीटा सिंह अपने पति के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर सकती हैं.
दातारामगढ़ सीट से चौटाला परिवार का जुड़ाव
दातारामगढ़ सीट से 1990 से चौटाला परिवार से जुड़ाव जरूर रहा है, लेकिन तबसे काफी लंबा समय बीत गया है और चौटाला परिवार की सक्रियता नहीं होने के चलते इनका प्रभाव कम हो गया है. फिलहाल दातारामगढ़ सीट से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से अमराराम अपनी ताल ठोक चुके हैं तो वहीं कांग्रेस से वीरेंद्र सिंह को टिकट मिलने की बात भी सामने आ रही है. वीरेंद्र सिंह के पिता चौधरी नारायण सिंह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में इनकी गिनती की जाती है.
शेखावाटी के बड़े जाट लीडर के रूप में भी नारायण सिंह का नाम लिया जाता है. ऐसे में रीटा सिंह पर दांव खेलकर जननायक जनता पार्टी भाजपा के वोट बैंक को अपने खाते में डालकर और जाट जाति के वोटो में सेंधमारी कर जीत की गणित बैठाने में जुटी हुई है तो वहीं इसी तरह की गणित फतेहपुर से भी जननायक जनता पार्टी की ओर से लगाई जा रही है क्योंकि यहां से पहले निर्दलीय विधायक रह चुके नंदकिशोर महरिया जननायक जनता पार्टी से टिकट की दावेदारी की चर्चाओं में हैं.
फतेहपुर सीट पर भी जेजेपी की नजर
माना जा रहा है कि अगर भारतीय जनता पार्टी फतेहपुर की सीट जननायक जनता पार्टी के साथ समझौते में देती है तो भाजपा के मूल वोट लेकर और जाट वोट बैंक में सेंधमारी कर यहां से भी जननायक जनता पार्टी जीत की उम्मीद लगाए बैठी है. इसके अलावा अन्य सीटों पर जननायक जनता पार्टी का कोई वर्चस्व और वजूद नहीं नजर आता है. इन्हीं दोनों सीटों पर काफी लंबे समय से जननायक जनता पार्टी कसरत करती आ रही है और यहां पर सक्रिय भी है.