दो साध्वियों से रेप के जुर्म में गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में 20 साल की सजा काट रहा है. एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने जेल में गुरमीत को मिल रही सुविधाओं को लेकर जेल प्रशासन से आरटीआई के जरिए जवाब मांगा है. लेकिन इस आरटीआई का जवाब देने के लिए जेल प्रशासन को पहले गुरमीत की ‘इजाजत’ चाहिए. जेल प्रशासन ने गुरमीत से बाकायदा चिट्ठी के जरिए 7 दिन में सहमति/असहमति मांगी है. जेल प्रशासन की ओर से इस चिट्ठी की एक प्रति आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर को भेजी गई है.
पानीपत के समालखा के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट कपूर ने आरटीआई में सुनारिया जेल के अधीक्षक से पूछा था कि गुरमीत को किस श्रेणी की सुविधाएं प्राप्त हैं? उसे खाने में क्या-क्या दिया जाता है? खाने पर खर्च राशि कितनी है? जेल में उसे क्या काम दिया गया है? जेल प्रशासन ने उसे कितने बर्तन, कपड़े, बिस्तर, ड्रेस, कुर्सी, बेड या फर्नीचर दिया है?
आरटीआई में गुरमीत की शैक्षणिक योग्यता के बारे में भी सवाल पूछा गया है. आरटीआई एक्टिविस्ट कपूर का कहना है कि जो सूचनाएं मांगी गई हैं, वो सभी जेल प्रशासन के रिकॉर्ड में हैं और इन्हें देने पर किसी तरह की पाबंदी भी नहीं है.
कपूर जेल प्रशासन की ओर से गुरमीत को चिट्ठी लिखकर सहमति/असहमति मांगने के कदम से संतुष्ट नहीं हैं. कपूर ने आरोप लगाया कि साजिश के तहत सार्वजनिक हित की सूचना जारी किए जाने में अड़ंगे लगाए जा रहे हैं.
कपूर ने कहा कि एक तरफ हरियाणा के जेल मंत्री और डीजीपी ये कहते हैं कि गुरमीत को जेल में कोई विशेष सुविधाएं नहीं दी जा रहीं और दूसरी तरफ आरटीआई के जरिए सामान्य सूचनाएं देने से भी बचा जा रहा है.
आरटीआई एक्टिविस्ट कपूर ने कहा कि जेल जनता के पैसे से चल रही हैं इसलिए जनता को इन सवालों के जवाब जानने का हक है. कपूर के मुताबिक उन्होंने गुरमीत से जुड़ी कोई ऐसी निजी सूचनाएं नहीं मांगी कि उसकी बैंक डिटेल्स क्या है या प्रॉपर्टी कितनी है.