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जानें- कौन हैं वह जज, जिन्होंने राम रहीम को दी रेप केस में 10 साल की सजा

डेरा प्रमुख राम रहीम की जिंदगी का फैसला सुनाने वाले जज जगदीप सिंह एडीजी स्तर के न्यायिक अधिकारी है. जगदीप सिंह  2012 में न्यायिक सेवा में आए थे.

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डेरा प्रमुख राम रहीम
डेरा प्रमुख राम रहीम

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यौन शोषण के मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को 15 साल पुराने रेप केस में 10 साल की सजा सुनाई है.  इस हाई प्रोफाइल मामले में फैसला सुनाने वाले हरियाणा के जींद के रहने वाले न्यायिक सेवा अधिकारी (जज) जगदीप सिंह हैं.  वह काफी सख्त मिजाज के जज माने जाते हैं. इसीलिए उन्होंने किसी दबाव में आए बिना सजा सुनाई.

जज से पहले क्रिमनल लॉयर थे

डेरा प्रमुख राम रहीम की जिंदगी का फैसला सुनाने वाले जज जगदीप सिंह एडीजी स्तर के न्यायिक अधिकारी है. जगदीप सिंह  2012 में न्यायिक सेवा में आए थे. इससे पहले वह पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में क्रिमनल मामलों के वकील के रूप से सक्रिय थे. उन्होंने 2000 से लेकर 2012 तक अपराधिक मामलों के मुकदमे लड़ रहे थे.

नो नॉन सेन्स एटीट्यूड जज 

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बता दें कि बाबा राम रहीम केस में फैसला सुनाने वाले सीबीआई के स्पेशल जज जगदीप सिंग को उनके कलीग 'नो नॉन सेन्स एटीट्यूड' जज कहते हैं. उनके दोस्त कहते हैं कि वे बेहद डाउन टू अर्थ व्यक्ति हैं.

2016 में आए थे सुर्ख़ियों में...

2016 में जगदीप उस वक्त सुर्ख़ियों में आए थे जब उन्होंने एक्सीडेंट में घायल हुए लोगों को अपनी कार से हॉस्पिटल पहुंचाया था. बताया जाता है कि जिस जगह एक्सीडेंट हुआ वहां से जगदीप गुजर रहे थे, घायलों को सड़क पर पड़ा देख उन्होंने अपनी गाड़ी रुकवाई और एम्बुलेंस को मदद के लिए फोन किया. जब एम्बुलेंस नहीं आई तो उन्होंने घायलों को अपनी गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया.      

2002 में मामला सामने आया

गौरतलब है कि 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान एक गुमनाम पत्र लिखकर डेरा प्रमुख राम रहीम पर एक साध्वी ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. ये पत्र प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और हाईकोर्ट को भेजा गया था. हाईकोर्ट ने इसे संज्ञान में लेकर कार्यवाही शुरू की और उसके बाद सीबीआई जांच शुरू हुई जिसकी परिणति आज फैसले के रूप में हो रही है.

 

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