
Age is just a number- 105 साल की बुजुर्ग रामबाई ने यह साबित कर दिया कि उम्र महज एक संख्या है. हरियाणा के चरखी दादरी की रहने वाली रामबाई ने 100 मीटर की फर्राटा रेस 45.40 सेकंड में पूरी कर नया रिकॉर्ड बनाया. पहले यह रिकॉर्ड मान कौर के नाम था, जिन्होंने 74 सेकंड में रेस पूरी की थी. बेंगलुरु में बीते हफ्ते राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप (एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से आयोजित) चैम्पियनशिप में 105 साल की दादी ने यह कारनामा किया. इस खास मौके पर सीएम मनोहर लाल खट्टर ने रामबाई को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी.
रामबाई ने वडोदरा में हुई राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स चैंम्पियनशिप में 100 मीटर रेस में नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. बता दें, चरखी दादरी जिले के गांव कादमा की रहने वाली रामबाई राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में अपनी तीन पीढ़ियों के साथ 100, 200 मीटर दौड़, रिले दौड़, लंबी कूद में 4 गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास बना चुकी हैं. इससे पहले नवंबर 2021 में हुई प्रतियोगिता में 4 गोल्ड मेडल जीते थे. रामबाई गांव की सबसे बुजुर्ग महिला है और उन्हें 'उड़नपरी'- परदादी कह कर बुलाते हैं. वो खुद को फिट रखने के लिए रोज सुबह 5-6 किलोमीटर की दौड़ लगाती हैं.
उम्र की परवाह किए बिना आगे बढ़ रहीं
रामबाई का जन्म 1 जनवरी, 1917 में गांव कादमा हुआ था. उन्होंने नवंबर, 2021 में वाराणसी में हुई मास्टर्स एथलैटिक मीट में भाग लिया था. वह अपनी उम्र की परवाह किए बिना आगे बढ़ रही हैं. बुजुर्ग एथलीट रामबाई ने खेतों के कच्चे रास्तों पर प्रैक्टिस की है. वह सुबह 4 बजे उठकर अपने दिन की शुरुआत करती हैं. लगातार दौड़ और पैदल चलने का अभ्यास करती हैं. इसके अलावा वह इस उम्र में भी 5-6 किलोमीटर तक दौड़ लगाती है. .
इसके अलावा रामबाई की 62 साल साल की बेटी संतरा देवी भी रिले रेस में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. राम बाई के 70 साल के पुत्र मुख्तयार सिंह ने 200 मीटर दौड़ में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है. उनकी बहू भी रिले दौड़ में गोल्ड और 200 मीटर दौड़ में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर गांव और प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी हैं.
सपना- विदेशी धरती पर सोने का तमगा जीतना
बुजुर्ग रामबाई ने बताया कि वो राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीत चुकी हैं. अब उनका सपना विदेशी धरती पर सोने का तमगा जीतने का है. अगर सरकार उनकी कुछ मदद करे तो वो विदेश में देश का नाम रोशन करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी. आमतौर पर 80 साल की उम्र में लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं. उनका चलना-फिरना तक मुश्किल हो जाता है. लेकिन 105 साल की उम्र में रामबाई एक मिसाल बन गई हैं.
गोल्ड मेडलिस्ट रामबाई ने बताया कि उनके दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे होती है. वो चूरमा, दही खाती हैं और दूध पीती हैं. इसके अलावा रोज 250 ग्राम घी रोटी या चूरमे के साथ लेती हैं. घर पर काम के अलावा रामबाई प्रैक्टिस के लिए भी पूरा समय निकाल लेती हैं. परिवार के लोग पूरी तरह से सहयोग करते हैं.
(रिपोर्ट- प्रदीप साहू)