स्वयंभू संत रामपाल को अभी जेल में ही रहना पड़ेगा. आज हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट में उनकी पेशी हुई. अब अगली सुनवाई 23 दिसंबर को होगी. रामपाल की गिरफ्तारी हुई तो उसके पाप के साम्राज्य का पूरा कच्चा-चिट्ठा सामने आ गया. रामपाल के बारे में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. ताजा खुलासा रामपाल के राजदारों से जुड़ा है. सतलोक आश्रम में रामपाल का पूरा साम्राज्य नौ रत्नों के सहारे चलता था. इन नौ रत्नों ने ही रामपाल और प्रशासन के बीच चले संघर्ष में अहम भूमिका निभाई थी. अब पुलिस इन सभी की कुंडली खंगाल रही है.
बलजीत
पुलिस की अभी तक की जांच में सामने आया है कि रामपाल के बाद बलजीत आश्रम में सर्वेसर्वा था. वह पढ़ा-लिखा था और उसे मैनेजमेंट की जानकारी थी. उसकी बेटी बबीता भी रामपाल की खास साधक थी, जो फिलहाल हिसार सेंट्रल जेल में है. पुलिस ने उसे भी आश्रम से ही गिरफ्तार किया था. यह भी बताया गया है कि बरवाला का बलजीत कुछ दिन हिसार की अनाज मंडी में एक किराये के मकान में रहा था. करीब सात-आठ साल पहले बलजीत और उसके पार्टनर धर्मबीर ने प्रॉपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया था. इसके बाद दोनों के संपर्क रामपाल से हो गए और वे इसका प्रबंधन का काम देखने लगे.
रामकुमार ढाका
रामकंवर उर्फ रामकुमार ढाका झज्जर जिले के सुडाना का रहने वाला है. वह रिटायर्ड टीचर है. रामकंवर रामपाल का विशेष सलाहकार था. उसके साथ सिद्धार्थ भी था, जो कमांडो को पूर्व सैनिकों और पुलिस कर्मचारियों के सहयोग से ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी उठाता था.
पुरुषोत्तम सैनी
कुरुक्षेत्र निवासी पुरुषोत्तम सैनी भी रामपाल के ट्रस्ट का खास मेंबर था. वह आश्रम की राशि को रीयल एस्टेट के कारोबार में लगाता और उससे होने वाली आमदनी का ब्योरा रखता था. इसके अलावा आश्रम में आने वाले दान का हिसाब-किताब उसके पास था. वह फाइनेंसियल मैनेजमेंट का एक्सपर्ट है और कहां रुपये इनवेस्ट करने हैं, कहां से आमदनी होगी, इसका फैसला लेने में समर्थ था. कुरुक्षेत्र में उसका प्रॉपर्टी का ही काम है.
राम अवतार
राम अवतार मूल रूप से धीरणवास गांव का रहने वाला है और प्रदेश सरकार में एक नौकरशाह का रिश्तेदार है. यह रामपाल का लीगल एक्सपर्ट था. सतलोक आश्रम की कमेटी का यह एक्टिव मेंबर भी था. इसकी पत्नी भी एक प्रोफेसर है, जिसने रामपाल के आश्रम के सामने महिलाओं की भीड़ एकत्रित करने में अहम भूमिका निभाई थी.
रविंद्र ढाका
रविंद्र ढाका झज्जर जिले के सुडाना गांव का रहने वाला है. यह सतलोक आश्रम का एक तरह से खुफिया तंत्र को संभालने वाला सरगना बताया गया है. सतलोक आश्रम में पुलिस ऑपरेशन से पहले इसने जिला प्रशासन की खबर आश्रम में पहुंचाने और देश भर से रामपाल की सुरक्षा के लिए कमांडो की भीड़ बुलाने का काम किया था. यह कमेटी का मुख्य सदस्य भी था.
सिद्धार्थ बिश्नोई
सिद्धार्थ बिश्नोई भी रामपाल का बेहद करीबी है. मूल रूप से वह हिसार के सेक्टर-15 का निवासी है. पुलिस के अनुसार बिश्नोई रिटायर्ड डीएसपी का बेटा है. रामपाल के लिए सिक्योरिटी का प्रबंध करने का जिम्मा, सिक्योरिटी में भर्ती हुए युवकों को हथियारों का प्रशिक्षण देना और सुरक्षा टीमों पर निगरानी रखना, उसका मुख्य काम था. रामकंवर ढाका के बाद सिक्योरिटी की जिम्मेदारी यही संभालता था.
राजकपूर
राजकपूर रामपाल का प्रवक्ता था. मीडिया से बातचीत करना, राजनेताओं और पुलिस प्रशासन से बातचीत करना, इसकी जिम्मेदारी थी. इसे प्रशासन और रामपाल के बीच की कड़ी कहा जा सकता है. प्रशासन के सामने यह रामपाल का पक्ष रखता था. सत्संग में बोले जाने वाले ऑडियो मैटिरियल एकत्रित करना भी इसकी जिम्मेदारी थी.
धर्मेंद्र
गांव करौंथा निवासी धर्मेंद्र आश्रम और रामपाल के टॉप टेन करीबी में से एक था. सतलोक आश्रम के अलावा दूसरे प्रांतों में बने आश्रम से को-ऑर्डिनेशन करने का काम करता था. बरवाला में हुए मामले में भी इसने रामपाल की तरफ से अहम भूमिका निभाई थी.
जितेंद्र
सोनीपत के नया बांस निवासी जितेंद्र भी आश्रम की कोर कमेटी का मुख्य सदस्य था. रामपाल के अनुयायियों द्वारा आश्रम की घेराबंदी करने पर पूरा नियंत्रण जितेंद्र का था. आश्रम के साथ वह काफी समय से जुड़ा हुआ था और धर्मेंद्र के साथ मिलकर वह दूसरे आश्रमों का कामकाज का भी संभालता था. आश्रम में खाने-पीने की व्यवस्था का जिम्मा भी इसका ही था.