रामपाल के बारे में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. आज तक को मिली जानकारी के मुताबिक रामपाल अपने भक्तों को स्वर्ग भेजने और भगवान की झलक दिखाने के दावे करता था और बदले में पैसे ऐंठता था. रामपाल के आश्रम में 5 लाख का मसाजर
आपको याद है ना कि रामपाल की खातिर उनके समर्थक पुलिस के खिलाफ डट गए थे. दरअसल, बाबा ने इन समर्थकों को स्वर्ग के सपने दिखाए थे. ये वो समर्थक थे जिन्हें बाबा ने भगवान से मिलाने का वादा किया था. वो भी मुफ्त में नहीं बल्कि पैसे लेकर. डेरा पर कानूनी घेरा! बंद होगी बाबागीरी?
रामपाल ने पाप का जो साम्राज्य खड़ा किया था उसमें स्वर्ग और भगवान की बड़ी भूमिका थी. रामपाल ने पोंजी स्कीम की तरह एजेंटों का जाल बिछा रखा था जो बाबा के लिए पेड भक्त ढूंढने का काम करते थे. पोंजी स्कीम और रामपाल के पाप स्कीम में फर्क सिर्फ इतना था कि बाबा किसी भी एजेंट को पैसे नहीं देता था.
एजेंट की भूमिका निभाते थे बाबा के खास समर्थक, जिन पर बाबा को खुद से भी ज्यादा भरोसा था. वो एजेंट दूरदराज के गांवों में घूमते और भोले भाले लोगों को बाबा के चमत्कार की कहानियां सुनाते.
रामपाल के वो एजेंट गरीबों को सपने दिखाते कि बाबा रामपाल उनके सारे दुख और कष्ट दूर कर सकता है. उनकी सारी समस्याओं का समाधान कर सकता है. बाबा के एजेंट भोले भाले लोगों को बरगलाते कि रामपाल स्वर्ग भेजने की ताकत रखता है. वो एजेंट लोगों को बताते कि बाबा रामपाल भगवान से मिलाने की ताकत रखता है. जैसे ही कोई शख्स बाबा की चमत्कारिक ताकतों पर भरोसा कर लेता रामपाल के एजेंट उसे लेकर सतलोक आश्रम में पहुंच जाते और फिर शुरू होता आस्था और अंधविश्वास का खेल.
पहली बार सतलोक आश्रम में पहुंचे समर्थकों को रामपाल कई तरह के सपने दिखाता और उनसे पैसे वसूलता. साथ ही समर्थकों को कसम खिलाई जाती कि हरेक समर्थक बाबा के लिए तीन नए भक्त लेकर आएगा. फिर वो तीन नए भक्तों पर होती दूसरे नए भक्तों को लाने की जिम्मेदारी.
ऐसा नहीं है कि रामपाल एक बार पैसे लेकर अपने भक्तों को बख्श देता था. दिलचस्प है कि बाबा ने वक्त के हिसाब से पैसे तय कर रखे थे. मतलब ये कि जैसे जैसे भक्ति बढ़ती जाती वैसे वैसे भगवान को देखने और स्वर्ग को महसूस करने का चार्ज बढ़ता जाता.