हरियाणा में यमुनानगर के भगवानपुर गांव में 'बलात्कार' के एक मामले में पंचायत ने पुलिस में जाने की बजाय खुद ही न्याय कर डाला और आरोपी को सिर्फ पांच जूते मारने की सजा
देकर छोड़ दिया. पांच साल की बच्ची को चाऊमीन का लालच देकर फुसलाया
मामला 25 मार्च का है, जब दलित परिवार की एक 19 वर्षीय युवती पशुओं का चारा लेने खेत गई थी. उसी दौरान काला नाम के 22 साल के उसके पड़ोसी ने उसके साथ बलात्कार
किया. जब पीडि़ता रंजीतपुर पुलिस पोस्ट गई तो उसे गांव के मुखिया के पास जाने के लिए कहा गया. इसके बाद पंचायत ने बैठक की और आरोपी को पांच जूते मारने की सजा सुनाई.
पंचायत का मानना था कि बलात्कार करने पर पांच जूते मारने की सजा काफी है. लड़की से ब्वॉयफ्रेंड के सामने रेप
पुलिसवालों के सामने पंचायत
सूत्रों की मानें तो पंचायत जब न्याय कर रही थी तो वहां पर पुलिसकर्मी भी मौजूद थे. हालांकि पुलिस अधिकारी पंचायत के दौरान वहां किसी भी पुलिसकर्मी के मौजूद होने से इनकार
कर रहे हैं. गांव के ज्यादातर लोग इस मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. मायाराम नाम के एक ग्रामीण ने कहा, 'मैं नहीं कह सकता कि ये बलात्कार का मामला था या सिर्फ एक
झगड़ा. मैंने सुना था कि आरोपी को जूते मारे गए थे.' गांव के मुखिया महिपाल ने माना कि पंचायत हुई थी, लेकिन बलात्कार के केस पर नहीं, झगड़े को लेकर हुई थी. उन्होंने कहा कि दो
पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में मामले को निपटाया गया था.
दबाव में पीडि़ता
बुधवार को राज्य महिला आयोग की वाइस चेयरपर्सन सुमन दहिया पीडि़ता के परिवार से मिलीं. हालांकि, पीडि़ता ने दहिया के सामने कोई खुलासा नहीं किया. बताया जा रहा है कि
परिवार पर अपना मुंह बंद करने के लिए जबरदस्त दबाव है. दहिया ने कहा, 'पीडि़ता कोई बयान नहीं दे रही. अभी तक उसकी कोई मेडिकल जांच भी नहीं हुई. अब वो अपना बयान
बदल चुकी है.
पुलिस ने पल्ला झाड़ा
यमुनानगर के पुलिस सुप्रीटेंडेंट अरुण सिंह नेहरा का कहना है कि पीडि़ता और आरोपी दोनों रिश्तेदार हैं और अभी तक बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है. उन्होंने कहा, 'मैं नहीं जानता कि ये
अफवाहें कौन उड़ा रहा है. लड़की ने महिला आयोग को कुछ नहीं कहा. उसका न तो बलात्कार हुआ और न ही उसके साथ छेड़खानी हुई. एसडीएम समेत पांच अधिकारी उसके पास
घटना के बारे में पूछताछ करने गए थे. जब लड़की ने कुछ नहीं कहा तो हम कह सकते हैं कि उसके साथ रेप हुआ था?' हरियाणा की सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री कविता जैन की
इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं मिल पाई.