हरियाणा की पूर्व शहरी स्थानीय निकाय मंत्री व ओपी जिन्दल उद्योग समूह की चेयरपर्सन सावित्री जिन्दल ने कहा है कि श्रीमद्भागवत गीता एक पुस्तक नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवन दर्शन है. उन्होंने आह्वान किया कि योगी बनना जरूरी नहीं है, बल्कि किसी के लिए उपयोगी बनना जरूरी है.
सावित्री जिन्दल नोएडा के सेक्टर-62 स्थित सत्यव्रत इंस्टीट्यूट ऑफ सब्जेक्टिव साइंसेज स्थित मंदिर परिसर में श्री गुरु चिन्मयानंद सेवा निधि के बैनर तले आयोजित पांचवें महाभिषेकम् समारोह के दौरान प्रार्थना कक्ष के शिलान्यास के अवसर पर अपने विचार प्रकट रही थीं.
सावित्री जिन्दल ने कहा कि गीता में आम आदमी को 'अर्जुन' बनाने की क्षमता है. गीता चिंतन है, कर्म है, जीवन है और मोक्ष का भी मार्ग है. यह बच्चों में संस्कार भरती है, तो युवाओं को कर्म के लिए प्रेरित करती है. गीता एक बुजुर्ग के अनुभव का सार है, जिसके माध्यम से जीवन-निर्माण की राह आसान हो जाती है. गीता अनुशासन का संस्कार देती है, जो किसी भी समाज या राष्ट्र के निर्माण के लिए अत्यंत जरूरी है.
जिन्दल ने कहा कि बच्चे राष्ट्र की अमूल्य निधि हैं. आज सूचना क्रांति आई है, तो इसके दुष्परिणाम भी तेजी से सामने आए हैं. हमें अपने बच्चों को टेलीविजन, मोबाइल फोन, इंटरनेट व अन्य माध्यमों से परोसी जा रही अनुचित सामग्रियों से बचाना है और इन माध्यमों का समाज हित में श्रेष्ठ उपयोग सुनिश्चित कराना है. यह सब सिर्फ गीता के मार्ग पर चलकर ही संभव है.