हरियाणा के तेज तर्रार आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का एक बार फिर तबादला कर दिया गया. यह उनका रिकॉर्ड 51वां ट्रांसफर है. इस बार उन्हें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से हटाकर खेल एवं युवा मामले विभाग का प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाया गया है. खास बात यह है कि खेमका अब खेल मंत्री अनिल विज के विभाग का जिम्मा संभालेंगे. विज खेमका के काम से खुश रहे हैं. उन्होंने कई बार खेमका की तारीफ की है. खेमका के अलावा हरियाणा सरकार ने 13 और आईएएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया है.
So much work planned. News of another transfer. Crash landing again. Vested interests win. Déjà vu. But this is temporary.
Will continue with renewed vigour and energy.
— Ashok Khemka (@AshokKhemka_IAS) November 12, 2017
ट्वीट कर टीस जाहिर की
1991 बैच के आईएएस अधिकारी खेमका की गिनती बेहद ईमानदार अधिकारियों में होती है. वे जिस विभाग में रहे, वहां अनियमितताओं का खुलकर विरोध किया. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में भी खेमका भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे. 51वां तबादला होने के बाद खेमका ने ट्वीट कर फिर अपनी टीस जाहिर की. खेमका ने ट्वीट कर बताया कि कई काम ऐसे थे, जिसकी उन्होंने प्लानिंग कर रखी थी. इसी बीच एक और ट्रांसफर हो गया. उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा- कुछ निहित स्वार्थ फिर जीत गए.
मंत्री को सरकारी जीप करनी पड़ी थी वापस
खेमका ने हाल ही में हरियाणा के मंत्री कृष्ण कुमार बेदी के खिलाफ मोर्चा खोला था. एक जीप के दुरुपयोग को लेकर खेमका की उन्हीं के विभाग के मंत्री कृष्ण कुमार बेदी के बीच ठन गई थी. अंबाला के जिला समाज कल्याण विभाग की एक जीप का मंत्री पर दुरुपयोग करने का आरोप है. जीप जिस अधिकारी को सरकारी कामकाज के लिए दी गई थी, वह पैदल ही दौरा करके अपने कामकाज निपटाते रहे. खेमका के संज्ञान में यह मामला आया तो मंत्री को जीप वापस करनी पड़ी.
ईमानदारी का सिखाया था सबक
खेमका ने मंत्री को ईमानदारी का पाठ पढ़ाते हुए लिखा- बलवान को हमेशा कमजोर की रक्षा करनी चाहिए और चरित्र की शक्ति कानून का पालन करने में होती है, न कि उसे तोड़ने में. खेमका ने मंत्री को यह भी याद दिलवाया कि उन्होंने पब्लिक सर्विस में भर्ती होने के वक्त एक कसम उठाई थी कि वह संविधान के प्रति वफादार रहेंगे और सभी उत्तरदायित्वों को निभाते हुए बिना किसी डर के अपनी सेवाएं देंगे. अब तक अशोक खेमका ने अनियमितताओं से जुड़े जितने भी मामले उठाए हैं, उसको लेकर तत्कालीन सरकारें उनके खिलाफ ही कार्रवाई करती रही हैं.