सरकारें आईं, सरकारें गईं.. चुनावों में नेताओं ने बहुत बार वायदे किए. पिछले तीन दशक से नेता वादा करते रहे और ग्रामीण उन वादों पर विश्वास करते रहे, लेकिन वादों का क्या? वादे तो वादे हैं. जी हां, ऐसा ही पुल बनाने का वायदा सियासत दान पिछले तीन दशकों से घग्गर नदी से सटे 30-35 गांवों के लोगों से कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ.
आखिर हार कर गांव के लोगों ने नेताओं के वायदों को दरकिनार कर खुद ब खुद पुल निर्माण का काम करने की ठान ली और वो काम आज पूरा होने को है. घग्गर नदी से सटे लगभग 9 गांवों के लोगों ने चंदा एकत्रित किया और काम शुरू हो गया.
14 महीने पहले शुरू हुए इस पुल का निर्माण कार्य पूरा होने वाला है. इसके निर्माण पर अब तक 95 लाख रुपये की लगत आ चुकी है और गांव की पंचायतों ने करीब एक करोड़ रुपये चंदा एकत्रित किया हुआ है.
इस पुल का शिलान्यास 13 अप्रैल 2014 को हुआ था. पुल का निर्माण लगभग हो चुका है. इस निर्माण के बाद अब इन गांव के लोगों को सिरसा जाने के लिए 40 किलोमीटर का सफर 10 किलोमीटर में तय किया जा सकेगा.
पनिहारी गांव के सरपंच मनजिंदर सिंह कहते हैं, 'पिछले 15 से 20 सालों से इस पुल के निर्माण की मांग लोग कर रहे थे. कितनी सरकारें आईं, कितनी गईं, लेकिन किसी भी सरकार और नेता ने उनकी ये मांग पूरी नहीं की. आखिरकार एक दिन 9 गांवों की पंचायत ने फैसला लिया और योजना बनाई की चंदा एकत्रित कर इस पुल का निर्माण खुद करेंगे.'
ग्रामीण मेजर सिंह ने कहा, 'डेरा संगर साधा के बाबा ब्रह्म दास के सहयोग से 14 अप्रैल 2014 को इस पुल का लोकार्पण हुआ और काम शुरू हो गया. हर पार्टी के नेताओं से उन्हें सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिला. इसके इलावा कभी किसी ने एक रुपया भी इस पुल के लिए नहीं दिया.'