गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के बाद निशाने पर आई मेडेन फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इन दिनों जांच के घेरे में है. जांच करने वाले अधिकारियों के अनुसार, अपने चार कफ सिरप को लेकर विवादों में आई मेडन फार्मा ने कथित तौर पर मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग के कई नियमों का उल्लंघन किया है. इससे दवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ा.
WHO की ओर से अफ्रीकी राष्ट्र गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत को चार सिरप से जोड़े जाने के बाद हरियाणा सरकार ने बुधवार को मेडेन फार्मास्युटिकल्स की सोनीपत यूनिट में दवा निर्माण को रोकने का आदेश दे दिया था. अधिकारियों ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अलर्ट के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और हरियाणा खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने 1,3,6 और 11 अक्टूबर को सोनीपत के कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में कंपनी के परिसर का निरीक्षण किया.
ड्रग नियमों का पालन नहीं कर रही थी फर्म
अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने गाम्बिया भेजी गई दवाओं की जरूरी जांच की है. जांच में पाया गया कि फर्म ड्रग्स नियमों के शेड्यूल एम और शेड्यूल यू की विभिन्न गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस आवश्यकताओं का पालन किए बिना और उनका उल्लंघन कर दवाओं का निर्माण और परीक्षण कर रही थी.
मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग का रिकॉर्ड नहीं
सोनीपत के राज्य औषधी नियंत्रण अधिकारी के अनुसार मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग का कोई रिकॉर्ड मेनटेन नहीं किया है और न ही उसे दिखाया जा सका. जांच दल द्वारा कई दस्तावेजों की छानबीन की गई, जिसमें साफ हो गई कि फर्म ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के भीतर औषधि नियम 1945 का पालन नहीं कर रही थी.
प्रोडक्शन पर सरकार ने लगाई रोक
11 अक्टूबर के आदेश के अनुसार, जांच के दौरान पाए गए उल्लंघनों की गंभीरता और उत्पादित होने वाली दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता के संभावित जोखिम को देखते हुए, फर्म की सभी निर्माण गतिविधियों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 22(1) (d) और उसके तहत बनाए गए नियम के तहत तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोका जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि जांच के दौरान राज्य और केंद्र की संयुक्त टीम ने फर्म में 12 कमियां पाईं. इसके चलते ही प्रोडक्शन पर रोक लगा दी गई है.
(PTI से मिले इनपुट्स के साथ)