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हरियाणा में सिर्फ पढ़े-लिखे लोग ही लड़ पाएंगे पंचायत चुनाव, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

सरकार की ओर से बनाए गए नियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसके बाद संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को अंतरिम रोक लगा दी थी.

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सुप्रीम कोर्ट हरियाणा पंचायत चुनाव को दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए पंचायतीराज एक्ट के नए संशोधन को सही ठहराया है. राज्य सरकार की ओर से बनाए गए नए नियमों के मुताबिक, सामान्य वर्ग के लिए दसवीं पास, अनुसूचित जाति व महिला के लिए आठवीं पास और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार को पांचवी पास होना जरूरी है.

सरकार की ओर से बनाए गए नियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसके बाद संसोधन पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को अंतरिम रोक लगा दी थी. सरकार ने शैक्षिक योग्यता के अलावा बिजली बिल का बकाया न होने और किसी केस में दोषी करार न होने के साथ, घर में टॉयलेट होने की शर्त रखी थी.

43 फीसदी लोग नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में बताया कि नए नियमों के मुताबिक , 43 फीसदी लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. साथ ही कोर्ट को बताया गया कि राज्य के 84 फीसदी घरों में टॉयलेट हैं, और 20 हजार स्कूल हैं. याचिकाकर्ता ने सरकार ने आंकड़े को गलत बताते हुए कहा था कि सही आंकड़ा 43 फीसदी न होकर 64 फीसदी है. अगर इसमें दलित महिलाओं को शामिल किया जाएगा तो आंकड़ा 83 फीसदी तक पहुंच जाएगा.

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हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर से दी गई दलीलों को सही ठहराते हुए बदले गए नियमों पर मुहर लगा दी.

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