सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा पंचायत चुनाव को लेकर पंचायती राज कानून में किए गए बदलाव पर लगी रोक को हटाने से तत्काल इनकार कर दिया है. यही नहीं, अदालत ने राज्य सरकार से चुनाव को चार हफ्तों के लिए टालने या फिर शैक्षणिक योग्यता के नियम को वापस लेने की भी बात की है. मामले में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी.
सोमवार को केंद्र सराकर ने भी कोर्ट से कहा कि चुनाव को लेकर नामांकन शुरू हो चुका है. दूसरी चुनावी प्रक्रिया भी चल रही हैं, ऐसे में रोक हटाई जानी चाहिए. अदालत में हरियाणा सरकार का पक्ष रख रहे एटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह सरकार को इस बाबत जानकारी देंगे और सरकारी पक्ष को मंगलवार को कोर्ट के सामने रखेंगे.
शैक्षणिक योग्यता पर फंसा है पेच
गौरतलब है कि सरकार की ओर से नियमों में संशोधन पर पंचायत चुनाव लड़ने के लिए चार शर्तें लागू की गई थीं. इसमें महिलाओं और एससी वर्ग के लिए शैक्षिक योग्यता 8वीं और बाकी सभी के लिए 10वीं पास कर दिया गया है.
सोमवार को अदालत ने कहा कि इस नियम से राज्य की 50 फीसदी आबादी चुनाव लड़ने से वंचित रह जाएगी. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, 'आजादी के 65 साल से अधिक समय बीतने के बावजूद अगर राज्य की 50 फीसदी आबादी अशिक्षित है तो नाकामी है. क्या हम एक विकासशील देश का हिस्सा हैं?'
और क्या कुछ है नए कानून में
सरकार की ओर से नियमों में जो संशोधन किए गए हैं, उनमें पर्चा भरने से पहले घर में टॉयलेट होना, सहकारी बैंक का लोन और बिजली बिल समेत सभी सरकारी देनदारियों का भुगतान निपटाना व 10 साल की सजा के प्रावधान वाले मामलों में प्रत्याशी का चार्जशीटेड न होना शामिल है. 21 साल बाद हरियाणा पंचायतीराज एक्ट-1994 में यह पहला संशोधन किया गया था.