सरिस्का टाइगर रिजर्व से भटके एक बाघ ने रेवाड़ी के झाबुआ जंगल में घुसकर इलाके के लोगों में खौफ फैदा कर दिया है. यह बाघ करीब ढाई महीने से जंगल में है और तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक रेस्क्यू नहीं किया जा सका है. बाघ के खतरे के कारण ग्रामीण डर के साए में जीने को मजबूर हैं. लोगों का कहना है कि वो खेतों में काम नहीं कर पा रहे और घरों से बाहर निकलने में भी डरते हैं.
यह बाघ, जिसे एसटी 2303 नाम दिया गया है वो 16 अगस्त को राजस्थान से हरियाणा की सीमा में दाखिल हुआ था. तब से राजस्थान और हरियाणा के वन विभाग की टीमें इसे पकड़ने की कोशिश में लगी हैं. सरिस्का टाइगर रिजर्व के अलावा रणथंभौर और जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की टीमें भी रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हो चुकी हैं.
रेवाड़ी के झाबुआ जंगल में घुसकर टाइगर
रेस्क्यू टीम ने बाघ को ढूंढने के लिए जंगल में कई कैमरे लगाए हैं, जिनमें बाघ की तस्वीरें एक-दो बार कैद भी हुईं, लेकिन बाघ फिर भी पकड़ में नहीं आया. अधिकारियों का कहना है कि झाबुआ का जंगल बेहद घना है, जिससे सर्च ऑपरेशन में परेशानी हो रही है. बाघ की मौजूदगी की पुष्टि उसके पैरों के निशान से हुई थी और टीम लगातार उसकी खोज में जुटी हुई है.
ग्रामीणों का कहना है कि 11 गांव के लोग बाघ के डर से पिछले ढाई महीने से परेशान हैं. फसल की बिजाई की तैयारी चल रही है, उन्हें इस बात का डर सताए रहता है कि कहीं बाघ उन पर हमला ना कर दे. डीसी ने ग्रामीणों को जल्द से जल्द बाघ को पकड़ने का आश्वासन दिया है.
जिलाधिकारी ने इलाके में लगाई धारा 114
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी है. लोगों को सतर्क रहने और आवश्यक सावधानियां बरतने की हिदायत दी गई है. ग्रामीणों की मांग है कि बाघ को जल्द रेस्क्यू कर उन्हें इस डर से निजात दिलाई जाए. टाइगर 8 माह पहले रेवाड़ी के निखरी भटसाना और खरखड़ा के इलाके में आया था. जो 3 दिन बाद वापस राजस्थान लौट गया था.