आजाद भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी का आज सुबह 106 साल की उम्र में निधन हो गया. नेगी हिमाचल प्रदेश में किन्नौर के रहने वाले थे. उन्होंने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 2 नवंबर को अपना डाक मतपत्र के जरिए वोट डाला था. किन्नौर के डीसी आबिद हुसैन ने बताया कि नेगी का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करने की तैयारी की जा रही है.
देश के सबसे बुजुर्ग मतदाता श्याम सरन नेगी हाल ही में निर्वाचन अधिकारी को 12-D फॉर्म लौटाकर चर्चा में आए थे. दरअसल, उम्रदराज मतदाता ने यह कहकर चुनाव आयोग का फॉर्म लौटा दिया था कि वह मतदान केंद्र जाकर ही अपना वोट डालेंगे. हालांकि, इसी बीच अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और चुनाव अधिकारियों ने उनके कल्पा स्थित घर जाकर पोस्टल वोट डलवाया.
श्याम सरन नेगी को मास्टर श्याम सरन भी कहते थे. वो इसलिए क्योंकि नेगी सरकारी स्कूल में टीचर रह चुके हैं. 1951 में पहले लोकसभा चुनाव में उन्होंने वोट दिया था. तब से अब तक 16 लोकसभा और 14 विधानसभा चुनावों में वोट दे चुके थे. इतना ही नहीं, पंचायत चुनावों में भी वो वोट देने जाते थे.
नेगी का कहना था कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए देश के हर नागरिक को वोट देना चाहिए. हमें वोट देने के अधिकार पर गर्व महसूस करना चाहिए, क्योंकि ये राष्ट्र का नेतृत्व करने के लिए सही प्रतिनिधि चुनने में मदद करता है.
श्याम सरन नेगी का जन्म 1 जुलाई 1917 को हुआ था. वो कल्पा में लकड़ी के बने घर में रहते थे. 1947 में आजादी के मिलने के बाद 1951-52 में भारत में पहली बार लोकसभा चुनाव कराए गए थे. वैसे तो पहले आम चुनाव में फरवरी-मार्च 1952 में वोट डाले जाने थे. लेकिन हिमाचल में बर्फबारी की आशंका के चलते चार-पांच महीने पहले ही चुनाव करा लिए गए थे.
नेगी ने 25 अक्टूबर 1951 को वोट डाला था. तब से उन्होंने कोई भी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव छोड़ा नहीं. हर चुनाव में वोट डाले. 2007 में चुनाव आयोग ने पहले वोटर की पहचान करने का काम शुरू किया. उस समय मनीषा नंदा हिमाचल की मुख्य चुनाव अधिकारी थीं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब पहले वोटर की पहचान करने का काम शुरू हुआ तो इलेक्टोरल रोल खंगाले गए. मनीषा नंदा ने उस समय बताया था कि उनकी नजर नेगी की एक तस्वीर पर पड़ी. तब उनकी उम्र 90-91 साल लिखी हुई थी. मनीषा नंदा ने किन्नौर की तत्कालीन डीसी सुधा देवी को नेगी से मिलने को कहा. सुधा देवी ने नेगी का इंटरव्यू भी लिया था. इसके बाद नेगी के दावे की पड़ताल की गई और सामने आया कि वो सही कह रहे थे. सारे दस्तावेजों की पड़ताल करने के बाद साबित हुआ कि नेगी ही पहले वोटर थे.