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वीरभद्र का डीएलएफ के साथ भूमि सौदे में भूमिका से इंकार

कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह ने शुक्रवार को इस आरोप से इंकार किया कि रियल्टी कंपनी डीएलएफ को जमीन बेचने में अपने साले की मदद के लिए उन्होंने भूमि कानून का उल्लंघन किया.

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वीरभद्र
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कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह ने शुक्रवार को इस आरोप से इंकार किया कि रियल्टी कंपनी डीएलएफ को जमीन बेचने में अपने साले की मदद के लिए उन्होंने भूमि कानून का उल्लंघन किया. डीएलएफ ने राज्य में अत्याधुनिक आवासीय परियोजना के लिए जमीन खरीदी थी.

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वीरभद्र सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया
वीरभद्र ने कहा, 'चुनाव के समय मेरी छवि धूमिल करने के लिए यह धूमल, अरुण जेटली और अनुराग ठाकुर का दुष्प्रचार है' राज्य में विधानसभा चुनाव 4 नवंबर को होना तय है और परिणामों की घोषणा 20 दिसंबर को होगी. हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष वीरभद्र ने कहा, 'चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाना चाहिए' उन्होंने प्रतीकात्मक शब्दों में कहा कि चूंकि उनके प्रतिद्वंद्वियों ने उन्हें बदनाम करने के लिए चुना है, इसलिए वह स्वयं के सिक्कों में उन लोगों को वापस भुगतान करेंगे.

मीडिया की कुछ खबरों में कहा गया है कि 2003-07 के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में वीरभद्र ने अपने साले अरुण सेन को फायदा पहुंचाया. उन्होंने कानून का उल्लंघन कर सेन को सोलन जिले में अपनी जमीन डीएलएफ को बेचने की अनुमति दी. सेन पूर्ववर्ती राज परिवार से हैं.

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सेन ने हालांकि इस बात से इंकार किया कि उन्होंने डीएलएफ के साथ ऐसा कोई सौदा किया था. सेन ने कहा, 'मैं कभी डीएलएफ के किसी अधिकारी से नहीं मिला। हमारी साझा जमीन के कुछ हिस्सेदारों ने किसी को जमीन बेची थी, हो सकता है जिन्होंने खरीदी, उन्होंने बाद में डीएलएफ को जमीन बेची हो.' उन्होंने अवैध भूमि सौदे के आरोप को बेबुनियाद बताया.

सेन ने कहा कि मुख्यमंत्री धूमल के एक करीबी सहयोगी ने 2010 में सिर्फ दो महीने के भीतर कसौली में 18 जगहों पर किसी जसवंत सिंह के नाम से जमीन की रजिस्ट्री कराई थी. यह जानकारी उन्हें सूचना का अधिकार के तहत आवेदन करने पर मिली. उन्होंने कहा, 'कुल 115 बीघा जमीन का सौदा किया गया मुख्यमंत्री स्पष्ट करें कि यह जसवंत सिंह कौन है या सौदे की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दें.'
नवंबर से शुरू होगी वीरभद्र सिंह के खिलाफ सुनवाई
ज्ञात हो कि सोलन जिले में कसौली एक मनोहारी पहाड़ी स्थल है. पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ से नजदीक होने के कारण यहां की जमीन काफी फायदेमंद है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इससे पूर्व वीरभद्र पर इस्पात उद्योग अदायगी घोटाले का आरोप भी लगा चुके हैं. यह मामला उस समय का है, जब वीरभद्र केंद्र सरकार में इस्पात मंत्री थे.

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