आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोपी हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ने सीबीआई की इस मामलें में दायर की गई एफआईआर को रद्द करने वाली वीरभद्र सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने आदेश में कहा है कि आरोपी ये खुद तय नही कर सकता कि उसके खिलाफ केस लोकल पुलिस दर्ज करेगी या फिर सीबीआई. वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई ने सितंबर 2015 में आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज किया था.
गौरतलब है कि सीबीआई ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ 2009 से 20012 के बीच यूनियन स्टील मिनिस्टर रहते हुए 6 करोड की अवैध सम्पत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया था. इससे पहले हिमाचल हाई कोर्ट ने एक अक्टूबर 2015 को अपने अंतरिम आदेश में उनकी गिरफ्तारी. पूछताछ करने और चार्ज शीट दायर करने पर रोक लगा दी थी. उस आदेश में कहा गया था कि ऐसा करने के लिए एजेंसी को कोर्ट की इजाजत लेनी होगी. बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केस को दिल्ली हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया. हाई कोर्ट ने आज अपने आदेश में हिमाचल हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को भी रद्द कर दिया है. हाई कोर्ट से आए इस आदेश के कुछ घंटे बाद ही सीबीआई ने इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में वीरभद्र सिंह के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी.
वीरभद्र सिंह के परिवार और रिश्तेदारों के खिलाफ सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कर रखा है. 6 करोड की अवैध संपत्ति के मामले में एलआईसी एजेंट आंनद चौहान को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. सीबीआई का आरोप है कि वीरभद्र सिंह और उनके परिवार ने अपने पद और रसूख के गलत इस्तेमाल से 6 करोड़ रुपये कमाए और बाद में इसी पैसे से पॉलिसी करा ली. वीरभद्र सिंह ने दिखाया था कि ये पैसा उन्होंने अपनी खेती की जमीन से कमाया है. जबकि सीबीआई का आरोप है कि इस बात को साबित करने के लिए सीबीआई के पास पुख्ता सबूत हैं कि ये पैसा कैसे गलत ढंग से हासिल किया गया.