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शिमला में मोनोरेल परियोजना पर विचार

शिमला में प्रदूषण युक्त वाहनों की समस्या को दूर करने के लिए सरकार मोनोरेल की परियोजना पर विचार कर रही है. इसके लिए अध्ययन की जिम्मेदारी दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डीएमआरसी) को सौंपी गई है.

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शिमला में प्रदूषण युक्त वाहनों की समस्या को दूर करने के लिए सरकार मोनोरेल की परियोजना पर विचार कर रही है. इसके लिए अध्ययन की जिम्मेदारी दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डीएमआरसी) को सौंपी गई है.

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यदि डीएमआरसी इसे स्वीकृति दे देता है तो इसे केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय से मंजूरी मिल जाएगी. यदि ऐसा होता है तो मोनो रेल की शुरुआत करने वाला यह पहला पर्वतीय राज्य बन जाएगा.

शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने बताया कि इस प्रस्तावित परियोजना पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बीच दिल्ली में शनिवार को चर्चा हुई.

इस बैठक में शर्मा भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि कमलनाथ ने डीएमआरसी से इस परियोजना की व्यवहारिकता पर छह महीने के भीतर रिपोर्ट तैयार करने को कहा है. इस परियोजना पर 5,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और इसका खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी.

उनके मुताबिक शिमला के अलावा धर्मशाला सहित अन्य शहरों में भी इस परियोजना की शुरुआत करने की योजना है. शिमला में स्थानीय यात्रा के लिए सार्वजनिक बसों का सहारा लेना पड़ता है. अधिकारियों के मुताबिक सड़कों पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए इस रेलमार्ग से नजदीकी स्थानों शोगी और संजौली को भी जोड़ा जाएगा.

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