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हिमाचल प्रदेश: पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए डॉक्टर ने दान कर दी 5 करोड़ की संपत्ति, दिल छूने वाली प्रेम कहानी

हमीरपुर जिले में रिटायर डॉक्टर ने पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने लिए अपनी करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति सरकार के ही नाम कर दी. बताया जा रहा है कि डॉक्टर की कोई संतान नहीं थी, इसलिए 5 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति उन्होंने दान कर दी.

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पत्नी की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए डॉक्टर ने दान कर दी 5 करोड़ की प्रॉपर्टी
पत्नी की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए डॉक्टर ने दान कर दी 5 करोड़ की प्रॉपर्टी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • डॉक्टर ने दान कर दी 5 करोड़ की संपत्ति
  • पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए किया दान
  • बेघर बुजुर्गों के रहने के लिए दान की संपत्ति

हिमाचल प्रदेश में के हमीरपुर जिले में रिटायर डॉक्टर ने पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने लिए अपनी करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति सरकार के ही नाम कर दी. बताया जा रहा है कि डॉक्टर की कोई संतान नहीं थी, इसलिए 5 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति उन्होंने दान कर दी. पूरे इलाके में डॉक्टर की वसीयत चर्चा का विषय बनी हुई है.

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नादौन के जोलसप्पड़ गांव सनकर के रहने वाल 72 साल के डॉक्टर राजेंद्र कंवर स्वास्थ्य विभाग से और उनकी पत्नी कृष्णा कंवर शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुईं थीं. एक वर्ष पूर्व उनकी पत्नी का देहांत हुआ था. दोनों की इच्छा थी कि कोई संतान न होने के चलते वो अपनी चल-अचल संपत्ति सरकार के नाम वसीयत कर देंगे. पत्नी की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए रिश्तेदारों के साथ बैठकर उन्होंने यह निर्णय लिया और चल-अचल संपत्ति को सरकार के नाम करने पर फैसला लिया. 

पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए दान की प्रॉपर्टी 

डॉक्टर राजेंद्र कंवर ने बताया कि जिन लोगों को घर में जगह नहीं दी जाती है और वृद्वावस्था में जिन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है. ऐसे लोगों के लिए सरकार मेरे करोड़ों के घर में इनके रहने का बंदोबस्त करे. उन्होंने बताया कि सरकार के साथ वसीयतनामे में यह शर्त रखी गई है.

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डॉक्टर ने दान कर दी 5 करोड़ की संपत्ति
डॉक्टर ने दान कर दी 5 करोड़ की संपत्ति

 

बेघर बुजुर्गों के रहने का इंतजाम यहां करे सरकार 

डॉक्टर राजेन्द्र कंवर ने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि सीनियर सिटीजन के साथ हमेशा लगाव रखें और उनका आदर करें. घर के अलावा नेशनल हाइवे के किनारे लगती पांच कनाल भूमि और गाड़ी को भी वसीयत सरकार के नाम की है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि 23 जुलाई 2021 को सरकार के नाम वसीयत करवा दी है और अब अकेले ही जीवन-बसर कर रहे हैं.

घर पर ही रोजाना सैकड़ों मरीजों का इलाज

बता दें, 1974 में एमबीबीएस की पढ़ाई इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज तत्कालीन समय में स्नोडेन अस्पताल शिमला से पूरी की. उसके उपरांत इंटरनशिप पूरी करके 3 जनवरी, 1977 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भोरंज में बतौर चिकित्सक ज्वाइन किया. नौकरी के दौरान उन्होंने सेवाभाव के जज्बे के चलते पदोन्नति को भी दरकिनार किया. डॉ. कंवर वर्तमान में जोलसप्पड में घर पर ही रोजाना सैकड़ों मरीजों के स्वास्थ्य की जांच करते है.

 

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