हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने वीरभद्र सिंह का दिल्ली फॉर्म हाउस अटैच कर लिया है, यह फॉर्म हाउस वीरभद्र के बेटे की कंपनी मैपल के नाम पर खरीदा गया था.
जांच में पाया गया है कि इस फॉर्म हाउस को खरीदने में काले धन का इस्तेमाल किया गया है, इस फॉर्म हाउस की कीमत लगभग 6 करोड़ रुपये की बताई जा रही है. कागजों में फॉर्म हाउस की कीमत 1 करोड़ बीस लाख बताई गई है, वहीं लगभग 5 करोड़ 41 लाख रुपये नगदी में दिये गये थे. गौरतलब है कि ईडी वीरभद्र सिंह पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रहा है, CBI ने भी पिछले ही हफ्ते वीरभद्र समेत 9 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था.
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि सीबीआई ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ 2009 से 20012 के बीच यूनियन स्टील मिनिस्टर रहते हुए 6 करोड़ की अवैध सम्पत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया था. इससे पहले हिमाचल हाईकोर्ट ने एक अक्टूबर 2015 को अपने अंतरिम आदेश में उनकी गिरफ्तारी, पूछताछ करने और चार्ज शीट दायर करने पर रोक लगा दी थी. उस आदेश में कहा गया था कि ऐसा करने के लिए एजेंसी को कोर्ट की इजाजत लेनी होगी.
बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केस को दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में हिमाचल हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को भी रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट से आए इस आदेश के कुछ घंटे बाद ही सीबीआई ने इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में वीरभद्र सिंह के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी.
वीरभद्र सिंह के परिवार और रिश्तेदारों के खिलाफ सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कर रखा है. 6 करोड़ की अवैध संपत्ति के मामले में एलआईसी एजेंट आंनद चौहान को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. सीबीआई का आरोप है कि वीरभद्र सिंह और उनके परिवार ने अपने पद और रसूख के गलत इस्तेमाल से 6 करोड़ रुपये कमाए और बाद में इसी पैसे से पॉलिसी करा ली. वीरभद्र सिंह ने दिखाया था कि ये पैसा उन्होंने अपनी खेती की जमीन से कमाया है. जबकि सीबीआई का आरोप है कि इस बात को साबित करने के लिए सीबीआई के पास पुख्ता सबूत हैं कि ये पैसा कैसे गलत ढंग से हासिल किया गया.