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कल्याण सिंह का हिमाचल सरकार को झटका, कहा- धूमल पर नहीं चलेगा केस

हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह सरकार को बड़ा झटका लगा है. राज्यपाल कल्याण सिंह ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस चलाने की अनुमति न देकर राज्यपाल कल्याण सिंह ने एक बड़े कानूनी विवाद को जन्म दिया है.

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कल्याण सिंह
कल्याण सिंह

हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह सरकार को बड़ा झटका लगा है. राज्यपाल कल्याण सिंह ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस चलाने की अनुमति न देकर राज्यपाल कल्याण सिंह ने एक बड़े कानूनी विवाद को जन्म दिया है.

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राज्यपाल की नरमी पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मंगलवार को साफ संकेत दिए कि ये केस अब कोर्ट में जाएगा और कोर्ट ही इस मामले पर फैसला लेगी. धूमल की अर्जी पर विचार करते हुए राज्यपाल ने बयान दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ अभियोग चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने मामले से जुड़े दस्तावेज मंगवाए और अपना मंतव्य राज्य सरकार को भेजा.

राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के पास हिमाचल प्रदेश का भी प्रभार है. राज्य की निगरानी और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 13 मार्च को धूमल और तीन शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. ये अधिकारी अब रिटायर हो चुके हैं. आरोप लगाया गया है कि इन अधिकारियों ने धूमल के कार्यकाल के दौरान साल 2007 में अपने पद का दुरुपयोग किया. बीजेपी नेता धूमल पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी ए.एन. शर्मा का साथ दिया.

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सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने का फैसला तब लिया, जब पूर्व राज्यपाल उर्मिला सिंह ने 24 जनवरी को कार्यकाल खत्म होने से पहले सरकार को सलाह दी थी कि धूमल के खिलाफ अभियोग चलाने के लिए उनकी सहमति की जरूरत नहीं है. सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो ने पद के कथित तौर पर दुरुपयोग के लिए जून में धूमल के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था.

एफआईआर में पूर्व आईपीएस अधिकारी शर्मा का नाम भी है, जिन्होंने बीजेपी के टिकट पर साल 2007 का चुनाव लड़ने के लिए पुलिस सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था. हालांकि उन्हें टिकट नहीं मिल सका. उस वक्त राज्य में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी. साल 2007 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी सत्ता में आई.

सरकार ने शर्मा को पुलिस सेवा में फिर से शामिल होने के लिए इस्तीफा वापस लेने की अनुमति दे दी. बाद में धूमल के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने उन्हें पदोन्नति देकर पुलिस महानिरीक्षक बना दिया. इस मामले में तत्कालीन मुख्य सचिव रवि ढींगरा और तत्कालीन गृह सचिव पी.सी. कपूर का नाम भी शामिल कर लिया गया है. कोर्ट ने इसकी अनुमति 11 मार्च को दी थी.

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