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कांग्रेस की सरकार बनते ही हिमाचल में अडानी ग्रुप के 2 सीमेंट प्लांट बंद क्यों हो गए?

हिमाचल प्रदेश में अडानी ग्रुप ने अपने दो सीमेंट प्लांट को बंद कर दिया गया है. इस एक फैसले ने पहाड़ी राज्य में हजारों लोगों की नौकरी को संकट में डाल दिया है. सरकार भी अडानी ग्रुप के इस फैसले से नाराज है. अब इस विवाद पर कंपनी के प्रवक्ता की तरफ से विस्तार से बात की गई है.

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अडानी समूह के मालिक गौतम अदानी (रॉयटर्स)
अडानी समूह के मालिक गौतम अदानी (रॉयटर्स)

हिमाचल प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है, राज्य में सीमेंट के बढ़ते दाम एक बड़ा मुद्दा बन गया है. लोग इस बात से परेशान हैं कि दूसरे राज्यों में जो सीमेंट सस्ती मिल रही है, उन्हें उसके लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है. इस बढ़ते दाम के बीच अडानी ग्रुप ने अपने दो सीमेंट प्लांट को बंद करने का फैसला किया है. इस एक फैसले की वजह से कई लोगों की नौकरी पर संकट आ गया है. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों अडानी ग्रुप को अचानक से इतना बड़ा फैसला लेना पड़ा.

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अडानी ने जारी बयान में क्या कहा?

अडानी ग्रुप ने एक जारी बयान में उच्च परिवहन लागत को प्लांट बंद करने के लिए जिम्मेदार माना है. उन्हें राज्य में लंबे समय से बढ़ी हुई ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट से नाराजगी थी. मांग की गई थी कि दाम कम किए जाएं, लेकिन क्योंकि बात नहीं बनी इसलिए कंपनी ने दो सीमेंट प्लांट बंद करने का फैसला किया. बरमाना और दारलाघाट में कंपनी द्वारा एसीसी और अंबूजा सीमेंट के प्लांट बंद किए गए हैं. ये भी जानकारी दी गई है कि बड़ी हुई परिवहन लागत की वजह से कंपनी को रोज 2.26 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा था. अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने इस बात पर भी जोर दिया कि उन पर भी लगातार दबाव था कि वे उत्पादन लागत को कम करें. ऐसा नहीं करने की वजह से मार्केट में टिके रहना मुश्किल था. मांग की गई थी कि ट्रांसपोर्ट यूनियन परिवहन लागत को कम करे, उन्हें बताया गया था कि दूसरे राज्यों की तुलना में हिमाचल में ज्यादा रुपये देने पड़ रहे हैं. लेकिन कोई बात नहीं बनी और प्लांट बंद करने पड़े.

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नौकरियों का कितना बड़ा संकट?

अब कब तक ये प्लांट बंद रहते हैं, कब तक कर्मचारियों को नौकरी से छुट्टी दी गई है, अभी तक स्पष्ट नहीं. लेकिन इस एक फैसले ने हजारों लोगों की नौकरी पर संकट ला दिया है. अकेले सोलन और बिलासपुर में ही 15000 परिवार इस एक फैसले की वजह से प्रभावित होने वाले हैं. यहां ये समझना जरूरी है कि ACC प्लांट में 980 कर्मचारी काम कर रहे थे, वहीं अंबूजा के साथ 1000 कर्मचारी जुड़े हुए थे. इसके अलावा मैकेनिक वर्कशॉप, टायर रिप्येर सर्विस में काम करने वाले लोग भी प्रभावित होने वाले हैं.  

कौन कर रहा था विरोध?

वैसे अडानी ग्रुप सिर्फ इस वजह से नाराज नहीं था कि ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट ज्यादा थी, उसके खफा होने की एक वजह ये भी रही कि उन कंपनियों में काम कर रहे कई कर्मचारी ट्रांसपोर्टर के रूप में भी काम कर रहे थे. वहीं जिन लोगों से जमीन लेकर सीमेंट प्लांट शुरू किए गए थे, बाद मे उन्होंने भी यूनियन बना लिए और कंपनी का ही विरोध करने लगे. ऐसे में चुनौतियां कई तरफ से खड़ी होने लगी थीं. अब कंपनी ने तो प्लांट बंद करने का फैसला ले लिया, लेकिन राज्य सरकार इस बात से नाराज है कि बिना किसी नोटिस के ये फैसला लिया गया जिस वजह से कई लोगों की नौकरी संकट में आ गई. 

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