scorecardresearch
 

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022: कांगड़ा से सरकार और शिमला से निकलेगा मुख्यमंत्री तय करने का फॉर्मूला

कांगड़ा जिले में जो पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीत लेती है, वही हिमाचल में सरकार बनाती है. गुरुवार को घोषित चुनाव परिणामों से एक बार फिर यह बात साबित हो गई है. कांग्रेस ने कांगड़ा की कुल 15 सीटों में से 10 सीटें जीती हैं. साल 2017 में भाजपा ने 15 में से 11 सीटों पर जीत हासिल करके सरकार बनाई थी.

Advertisement
X
हिमाचल की 68 सीटों में से कांग्रेस ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की है.
हिमाचल की 68 सीटों में से कांग्रेस ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की है.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे बुधवार को घोषित हो गए हैं. इनके विश्लेषण से एक बार फिर साबित हो गया है कि हिमाचल में सरकार बनाने का रास्ता कांगड़ा से ही जाता है. वह इसलिए भी क्योंकि कांगड़ा में सबसे ज्यादा 15 विधानसभा चुनाव क्षेत्र हैं. कांगड़ा जिले में जो पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीत लेती है, वही हिमाचल में सरकार बनाती है.

Advertisement

गुरुवार को घोषित चुनाव परिणामों में कांग्रेस ने कांगड़ा की कुल 15 सीटों में से 10 सीटें जीती हैं. वहीं, 2017 में भाजपा ने 15 में से 11 सीटों पर जीत हासिल करके सरकार बनाई थी. उससे पहले कांग्रेस ने साल 2012 में कांगड़ा में 10 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी.

सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री शिमला से बने  

सबसे ज्यादा सीटें होने के बावजूद भी अब तक सिर्फ दो बार 1977 और 1990 में कांगड़ा से मुख्यमंत्री चुना गया चुना गया. अब तक शिमला जिले से सबसे अधिक 6 बार मुख्यमंत्री चुने गए हैं. मंडी और सिरमौर से एक-एक बार और हमीरपुर जिले से दो बार मुख्यमंत्री चुने गए हैं.

मुख्यमंत्री पद पर ऊना, हमीरपुर और शिमला की दावेदारी

कांग्रेस ने सोलन, कांगड़ा और शिमला जिलों में बेहतर प्रदर्शन किया है. कांगड़ा में 15 में से 10 सीटें, शिमला में 8 में से 7 सीटें और सोलन में 5 में से 4 सीटें जीती हैं. वहीं, मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की बात करें, तो हमीरपुर से सुखविंदर सिंह सुक्खू, ऊना से मुकेश अग्निहोत्री और शिमला से प्रतिभा सिंह या उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह की सशक्त दावेदारी मानी जा रही है. 

Advertisement

मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर आपस में बंटी कांग्रेस

हालांकि, मुख्यमंत्री पद के दावेदार सीधे तौर पर अपनी दावेदारी नहीं जता रहे हैं. मगर, चुनाव के बाद से अप्रत्यक्ष तौर पर पार्टी हाईकमान के समक्ष दावेदारी जताई जा चुके हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और बेटे ने वीरभद्र सिंह के स्वर्गवास के बाद भी उनकी सियासत को जिंदा रखा है. चुनाव परिणाम आने के बाद 2012 की तरह का माहौल वीरभद्र सिंह के निजी आवास होली लॉज में देखने को मिला. कई विधायकों ने प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में आस्था जताई. इससे साफ होता है कि मुख्यमंत्री जो भी बनेगा, वह प्रतिभा सिंह की मर्जी से ही बनेगा.

वहीं, नादौन से विधायक चुनकर आए सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोंका है. उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से साफ कर दिया है कि इस पद के दावेदार सिर्फ विधायक ही होंगे. यानी वह चाहते हैं कि प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री की दावेदारी छोड़ दें. हालांकि, सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कैमरे पर कोई बयान नहीं दिया, लेकिन अपनी नाराजगी जता दी है.

प्रतिभा सिंह पार्टी अध्यक्ष हैं और विधायक नहीं हैं, इसलिए मुख्यमंत्री पद पर उनकी दावेदारी कमजोर है. मगर, शिमला से चुनाव जीत कर आए उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह भी अप्रत्यक्ष तौर पर मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी ठोंक रहे हैं. 

Advertisement

वहीं ऊना के विधायक मुकेश अग्निहोत्री भी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं. मुकेश अग्निहोत्री की पार्टी हाईकमान से नजदीकियां छिपी हुई नहीं हैं. अगर मुकेश अग्निहोत्री को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो कांगड़ा और हमीरपुर को प्रतिनिधित्व देने के लिए उपमुख्यमंत्री पद दिया जा सकता है.

जातीय आधार पर तय होता है मुख्यमंत्री 

हिमाचल प्रदेश के अब तक के ज्यादातर मुख्यमंत्री राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखते आए हैं. अब तक सिर्फ दो बार गैर राजपूत शांता कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया था, जो ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. मुकेश अग्निहोत्री भी ब्राह्मण समुदाय से संबंध रखते हैं. 

सुखविंदर सिंह सुक्खू और विक्रमादित्य सिंह राजपूत समुदाय से संबंध रखते हैं. पंजाब के बाद हिमाचल में दलित समुदाय की दूसरी बड़ी जनसंख्या है, लेकिन इस समुदाय से आज तक कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. चुनाव जीत कर आए कांग्रेस के विधायकों की नजर अब पार्टी आलाकमान के फैसले पर है कि वह किस जिले से और किस समुदाय से मुख्यमंत्री चुनता है. 

Advertisement
Advertisement