हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार अंदरूनी उठापटक से जूझ रही है. अब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि विक्रमादित्य सिंह अपनी नई राजनीतिक पार्टी 'वीरभद्र कांग्रेस' बना सकते हैं. इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रतिभा सिंह खेमे को खुश करने के लिए अपना डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है. हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने गत 28 फरवरी को उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.
हाल में संपन्न राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की हार के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू ने अब रामपुर बुशहर के विधायक नंद लाल और फतेहपुर के विधायक भवानी सिंह पठानिया सहित दो विधायकों को कैबिनेट रैंक दिया है. नंद लाल को जहां हिमाचल प्रदेश राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है, वहीं भवानी सिंह पठानिया को राज्य योजना बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया है. कैबिनेट रैंक के अलावा 16 अधिवक्ताओं को अतिरिक्त महाधिवक्ता और उप महाधिवक्ता बनाया गया है.
निष्कासित विधायकों को वापस लेने का इरादा नहीं
आजतक को पता चला है कि अब राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग के बाद कांग्रेस से निष्कासित विधायकों को वापस लाने का कोई प्रयास नहीं किया जाएगा, जिन्हें सीएम सुक्खू ने अपने भाषण और प्रेस बयान में चार बार 'काले सांप' कहा था. बता दें कि कांग्रेस के 6 विधायकों ने बीजेपी राज्यसभा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी, जिसके बाद सिंघवी और महाजन की टैली 34-34 से बराबर हो गई. इसके बाद चिट पर नाम लिखकर फैसला हुआ, जिसमें हर्ष महाजन को जीत मिली थी.
सुक्खू ने कहा था, 'भाजपा नेताओं और कांग्रेस के काले सांपों ने अपनी ईमानदारी बेच दी. जब बजट पारित हो रहा था तो उन्होंने सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की'. इधर बताया जा रहा है कि विक्रमादित्य एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने के मिशन पर हैं. प्रतिभा सिंह के नेतृत्व वाले गुट के नेताओं को मनाने के प्रयासों के बावजूद, विक्रमादित्य सिंह को शांत करने के प्रयास विफल रहे हैं. उन्होंने न केवल सुक्खू कैबिनेट से इस्तीफा दिया बल्कि अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल इंट्रो से कांग्रेस शब्द भी हटा दिया, जिसमें अब 'हिमाचल का सेवक' लिखा है.
विक्रमादित्य सिंह ने अभी इस्तीफा वापस नहीं लिया
विक्रमादित्य सिंह ने अगले प्लान के बारे में अब तक कोई हिंट नहीं दिया है, लेकिन यह स्पष्ट किया है कि उन्होंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है, क्योंकि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे अनसुलझे हैं. वह पिछले तीन दिनों से नई दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और उनके कांग्रेस आलाकमान से मिलने की भी उम्मीद है. अटकलें हैं कि विक्रमादित्य सिंह अपनी पार्टी 'वीरभद्र कांग्रेस' लॉन्च कर सकते हैं या कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. हालांकि उनकी मां और हिमाचल कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया है. उन्होंने कहा, 'हमने इस बारे में नहीं सोचा है और न ही हम निष्कासित विधायकों के संपर्क में हैं. आगे क्या होगा यह भगवान जानें'.
उन्होंने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि विक्रमादित्य निजी कारणों से नई दिल्ली में हैं और जल्द ही वापस हिमाचल आएंगे. सुक्खू खेमे को डर था कि विक्रमादित्य सिंह के पार्टी छोड़ने की स्थिति में प्रतिभा सिंह खेमे के मोहन लाल ब्रकाटा, नंद लाल और हरीश जनारथा सहित कम से कम तीन से चार विधायक कांग्रेस छोड़ देंगे. नंद लाल को अब कैबिनेट रैंक दिया गया है जिसे डैमेज कंट्रोल के तौर पर देखा जा रहा है. एक कांग्रेस नेता ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि अगर विक्रमादित्य सिंह और तीन अन्य विधायक पार्टी छोड़ भी देते हैं तो भी सीएम सुक्खू को प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त रहेगी. सुक्खू की सबसे बड़ी चुनौती अपने खेमे को एकजुट रखना है.
कैबिनेट बैठक में दिखी थी विधायकों की नाराजगी
कल कैबिनेट बैठक के दौरान हाई ड्रामा देखने को मिला जब दो कैबिनेट मंत्रियों जगत सिंह नेगी और रोहित ठाकुर ने कुछ मुद्दों पर नाराजगी जताई और कैबिनेट बैठक छोड़कर चले गए. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री को रोहित ठाकुर को वापस लाते देखा गया, जो सूत्रों के अनुसार खुश नहीं थे, क्योंकि उनके एजेंडे पर ध्यान नहीं दिया गया था. विक्रमादित्य और एक अन्य कैबिनेट मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान भी अनुपस्थित रहे. मुकेश अग्निहोत्री ने शनिवार रात प्रतिभा सिंह से मुलाकात की और उन्हें दो विधायकों और 16 पार्टी नेताओं को अतिरिक्त महाधिवक्ता और उप महाधिवक्ता बनाए जाने के बारे में अवगत कराया.
हिमाचल कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सौतेले व्यवहार पर नाराजगी व्यक्त की थी, जिन्हें सरकार बनने पर उनका ध्यान रखने का वादा किया गया था. उन्होंने निष्कासित विधायकों का भी समर्थन करते हुए कहा था कि उन्हें भी नजरअंदाज किया गया. इधर, हिमाचल के भाजपा नेता यह कह रहे हैं कि सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार के दिन अब गिनती के बचे हैं, क्योंकि वह जनादेश और विश्वास खो चुकी है. प्रतिभा सिंह ने भी हाल में आजतक के साथ विशेष बातचीत में यह संकेत दिया था कि हिमाचल कांग्रेस में सबकुछ अभी ठीक नहीं हुआ है.