हिमाचल की कांग्रेस सरकार में विद्रोह की चर्चा उत्तराखंड में हो रही है, क्योंकि सत्ताधारी पार्टी के छह बागी विधायक ऋषिकेश पहुंच गए हैं. उनके साथ तीन निर्दलीय और बीजेपी के भी 2 विधायक मौजूद हैं. इससे पहले कांग्रेस के सभी बागी विधायक चंडीगढ़ के ललित होटल में ठहरे हुए थे. विधायकों को ऋषिकेष के एक निजी होटल में ठहराया गया है. बता दें कि कांग्रेस बागी विधायकों इंद्रदत्त लखनपाल, सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर, चैतन्य शर्मा और देवेंद्र भुट्टो ने हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी. कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा था.
सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इन बागी विधायकों को यह कहते हुए अयोग्य ठहराने की मांग की थी कि वे बजट सत्र के दौरान सरकार के पक्ष में वोट करने के पार्टी व्हिप की अवहेलना करते हुए विधानसभा में वित्त विधेयक पर मतदान से अनुपस्थित रहे. हिमाचल विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान की सिफारिश का संज्ञान लेते हुए सभी बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया था. बागी विधायकों ने स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उनकी याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई होनी है. उन्होंने अपनी याचिका में स्पीकर के फैसले को असंवैधानिक बताया है, इसे रद्द करने की मांग की है.
इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रतिभा सिंह खेमे को खुश करने के लिए अपना डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है. हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने गत 28 फरवरी को उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. मुख्यमंत्री सुक्खू ने अब रामपुर बुशहर के विधायक नंद लाल और फतेहपुर के विधायक भवानी सिंह पठानिया को कैबिनेट रैंक दिया है. नंद लाल को जहां हिमाचल प्रदेश राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है, वहीं भवानी सिंह पठानिया को राज्य योजना बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा 16 अधिवक्ताओं को अतिरिक्त महाधिवक्ता और उप महाधिवक्ता बनाया गया है.
इधर विक्रमादित्य सिंह ने अपने अगले प्लान के बारे में अब तक कोई हिंट नहीं दिया है, लेकिन यह स्पष्ट किया है कि उन्होंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है, क्योंकि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे अनसुलझे हैं. सुक्खू खेमे को डर है कि विक्रमादित्य के पार्टी छोड़ने की स्थिति में प्रतिभा सिंह खेमे के मोहन लाल ब्रकाटा, नंद लाल और हरीश जनारथा सहित कम से कम तीन से चार विधायक कांग्रेस छोड़ देंगे. वहीं, पहले ही 6 विधायक बागी हो चुके हैं और अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अगर उनके पक्ष में आता है, तो सुक्खू सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.