हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. सीबीआई केस के बाद अब वीरभद्र सिंह के खिलाफ मानहानि के एक मुकद्दमे में ऊना की अदालत ने आरोप पत्र जारी किया है. याचिकाकर्ता ने लंबी कानूनी लड़ाई और उम्र के आधार पर मामले का फैसला आने तक खुद के और वीरभद्र सिंह के जीवित रहने पर संदेह जाहिर किया है.
क्या है मामला
हिमाचल प्रदेश सर्विस सिलेक्शन बोर्ड यानी अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र मोहन कटवाल ने एक जनसभा के दौरान भ्रष्टाचार के कथित आरोप लगाने पर वीरभद्र
सिंह के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज कराया था. हालांकि वीरभद्र सिंह खुद अदालत नहीं आए, उन्हें कोर्ट में गैर हाजिर रहने की अनुमति मिली हुई है. जिसके कारण अदालत ने
वीरभद्र सिंह के वकील को यह आरोप पढ़कर सुनाए. याचिकाकर्ता सुरेंदर मोहन कटवाल ने वीरभद्र सिंह पर बिना किसी आधार के उनकी मान मर्यादा भंग किए जाने का आरोप
लगाया है.
आरोप साबित हुई तो वीरभद्र को मिलेगी ये सजा-
मानहानि के इस मामले में आरोप साबित होने पर धारा 499 और 500 के तहत कानूनन दो साल की सजा दी जा सकती है. याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से वीरभद्र सिंह को
अदालत में बुलाएंजाने की अपील किए जाने का दावा भी किया गया है.
12 सितम्बर को मामले की अगली सुनवाई
करीब दस साल से चल रहा यह मामला पहले ऊना की सेशन अदालत में खारिज हो गया था. इसके बाद हाईकोर्ट में मामला ले जाने पर कोर्ट ने ऊना की अदालत को मामला शुरू
करने के आदेश दिए थे. मामले की अगली सुनवाई 12 सितम्बर को होगी.