हिमाचल सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अब सभी जल उपभोक्ताओं को मुफ्त जलापूर्ति की सुविधा नहीं मिलेगी. क्योंकि अब 50,000 रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले घरेलू उपभोक्ताओं को 100 रुपये प्रति माह का भुगतान करना होगा. इसके अलावा, व्यापारिक प्रतिष्ठानों को किलोलीटर के हिसाब से बिल दिया जाएगा. राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को राजस्व बढ़ाने और सब्सिडी में कटौती करने का निर्णय लिया है.
मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक न्यूज एजेंसी से जानकारी साझा करते हुए कहा कि 50,000 रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले घरेलू उपभोक्ताओं को 100 रुपये प्रति माह पानी का बिल देना होगा, जबकि होटलों जैसे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से प्रति किलोलीटर के हिसाब से शुल्क लिया जाएगा. पानी से मिलने वाली इस राशि का इस्तेमाल पेयजल की गुणवत्ता सुधारने में किया जाएगा.
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इन वर्गों के लोगों को फ्री में मिलता रहेगा पानी
सुक्खू के मुताबिक प्रदेश में विधवाओं, निराश्रित, 'एकल नारी' (एकल महिला), दिव्यांग और अन्य कमजोर वर्गों सहित कुछ वंचित वर्गों को मुफ्त पानी मिलना जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में होटल और होम-स्टे तेजी से बढ़े हैं. इन सभी को मुफ्त पानी की सुविधा मिल रही है, जबकि शहरी क्षेत्रों के होटलों को बिजनेस दरों पर पानी और बिजली की आपूर्ति की जा रही है.
शक्ति विभाग को हुआ है 800 करोड़ रुपये का नुकसान
इस संबंध में एक न्यूज एजेंसी को जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में करीब 10,000 जलापूर्ति योजनाओं का संचालन कर रहे जन शक्ति विभाग को मुफ्त पानी की आपूर्ति के कारण करीब 800 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है. पिछली बीजेपी सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले मई 2022 में ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त पानी की आपूर्ति करने का फैसला किया था और इसके परिणामस्वरूप इन योजनाओं का रखरखाव और संचालन कर रहे जन शक्ति विभाग को भारी नुकसान हुआ.