हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत के साथ एक बार फिर से सरकार बनाई है. मुख्यमंत्री के रूप में सुखविंदर सिंह सुक्खू की ताजपोशी भी हो चुकी है और डिप्टी सीएम की कुर्सी मुकेश अग्निहोत्री को मिली है. ऐसे में चर्चा कैबिनेट गठन की है, लेकिन अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि सीएम सुक्खू की टीम में किन चेहरों को जगह मिलेगी. ऐसे में सभी की निगाहें मंत्रिमंडल के गठन पर हैं.
तीन की हार से बदल गए समीकरण
कैबिनेट विस्तार को लेकर टेंशन बनी हुई है. इसका एक कारण तो ये है कि हिमाचल चुनाव में कांग्रेस ने अपनी सरकार जरूर बनाई है, लेकिन तीन सबसे बड़े नेताओं ने अपनी ही सीट गंवा दी. कौल सिंह ठाकुर, आशा कुमारी और रामलाल ठाकुर चुनाव हार गए हैं. अगर ये तीनों अपनी-अपनी सीट जीत जाते तो पार्टी द्वारा उन्हें मंत्रिमंडल में जरूर शामिल किया जाता. हालांकि, अब तमाम समीकरण बदल चुके हैं. पार्टी को अनुभवी के साथ-साथ कई नए चेहरों पर भी दांव चलना पड़ेगा.
रेस में कौन आगे चल रहा है?
आजतक से बात करते हुए सीएम सुखविंदर सिंह साफ कह चुके हैं कि प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट में जगह दी जाएगी. ऐसे में विक्रमादित्य का मंत्री बनना तय है. इसके अलावा सोलन से विधायक धनीराम शांडिल भी मंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं, क्योंकि पहले मंत्री रह चुके हैं. कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, किन्नौर से जगत सिंह नेगी, कुलदीप राठौर, संजय रत्न भी कैबिनेट रेस में प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.
जातीय-क्षेत्रीय संतुलन बनाना होगा?
कांग्रेस को नए मंत्रिमंडल के गठन के जरिए जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने की जरूरत है. अनुभवी नेताओं के साथ युवाओं को मंत्रिमंडल में जगह देकर संतुलन बनाने की रणनीति है. क्षेत्रीय समीकरण बैठाने को जिला कांगड़ा और शिमला की भागीदारी पार्टी को मंत्रिमंडल में बढ़ानी पड़ेगी. जातीय संतुलन बनाने के लिए ब्राह्मण, राजपूत, ओबीसी और अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग से भी मंत्री बनाने होंगे.
हिमाचल प्रदेश में गुटों में बंटी कांग्रेस में संतुलन बनाने के लिए पार्टी डिप्टी सीएम का कार्ड खेला है. सुखविंदर सिंह सुक्खू को सीएम बनाया है तो प्रतिभा सिंह के करीबी मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टीसीएम बनाया है. अन्य नेताओं को मंत्री पद देकर पार्टी एकजुटता का संदेश दे सकती है. पार्टी विधायकों में उच्च पदों को लेकर टूट फूट ना हो, इसके लिए योजना पर भी काम शुरू कर दिया गया है. हिमाचल कांग्रेस में नेताओं की सेकेंड लाइन तैयार करने की कवायद से भी इसे जोड़ कर देखा जा रहा.
कई सीटों पर मामूली अंतर से जीती है कांग्रेस
अब राज्य सरकार जरूर कांग्रेस की बन गई है, मंत्रिमंडल विस्तार भी होने वाला है, लेकिन इस बार की चुनावी लड़ाई काफी टक्कर वाली रही. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि कई सीटों पर जीत का अंतर 60 वोटों से लेकर 800 के बीच में था. ऐसी 10 सीटें सामने आई हैं जहां पर कम वोटों से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. अगर उन सीटों पर बीजेपी का कमल खिलता तो राज्य में रिवाज बदलता और सत्ता में वापस लौटने का इतिहास भी रचा जाता. इस चुनाव में कांग्रेस ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की है, बीजेपी के खाते में 25 सीटें गई हैं. वहीं आम आदमी पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई है.