हिमाचल प्रदेश के नूरपुर में मंगलवार को श्रद्धांजलि देने के लिए स्कूल बस हादसे में मारे गए 23 मासूम बच्चों के शव लगभग तीन घंटे तक परिजनों को नहीं दिए गए.
सूत्रों के मुताबिक, जिन तीन बच्चों की मौत पठानकोट के एक निजी अस्पताल में हुई थी. उनके शव भी श्रद्धांजलि के नाम पर नूरपुर मंगवाए गए.
श्रद्धांजलि के तैयार किया गया मंच
श्रद्धांजलि देने के लिए बाकायदा एक मंच भी तैयार किया गया था. तीन घंटे के लंबे इंतजार के बाद मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट के सदस्य नूरपुर पहुंचे. उसके बाद औपचारिकता के नाम पर शवों पर फूलमालाएं चढ़ा कर चले गए. राज्य सरकार के किसी भी मंत्री ने पीड़ित परिवारों के घर जाकर सांत्वना नहीं दी.
सरकार की श्रद्धांजलि से नाराज अभिभावक
'आजतक' ने सरकार की श्रद्धांजलि से नाराज एक अभिभावक नरेश सिंह से बात की. उन्होंने कहा कि बेहतर होता श्रद्धांजलि देने के बजाय मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट के सदस्य हमारे गांव आते. सड़क की हालत देखकर कुछ फैसला लेते. सिर्फ फूलमालाएं चढ़ाकर राजनीति करना सही नहीं है. बता दें कि नरेश सिंह के दो बच्चे इस बस हादसे में मारे गए. उनके परिवार के चार बच्चे इस हादसे का शिकार हुए हैं.
नरेश सिंह के भाई राजेश की पत्नी ने स्थानीय विधायक राकेश पठानिया पर कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा बच्चों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सिर्फ इतना कहा कि हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए गए हैं. रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
इस बस हादसे में कुल 27 लोगों की जान चली गई, जिसमें 23 बच्चे (10 लड़कियां और 13 लड़के), 2 शिक्षक, बस चालक और बस में लिफ्ट लेने वाली एक महिला शामिल है.