हिमाचल प्रदेश विधानसभा का सोमवार से शुरू हो रहा मानसून सत्र भले ही महज 7 दिनों का छोटा सा सत्र होगा, लेकिन दोनों ही दलों की युवा टीम इसे धारदार बनाने की तैयारी में है. खासकर विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस अपनी नई पार्टी प्रभारी रजनी पाटिल की नजरों में कुछ जोश दिखाने वाली है.
वहीं, भाजपा की ओर से कमान खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संभाली हुई है. सत्र शुरू होने से पहले सीएम ने अफसरों की टीम से पूरी मुस्तैदी के साथ तथ्य तैयार रखने को कहा है. खासकर ढीले-ढाले रवैये से परहेज करके पूर्व में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का तुलनात्मक आकलन करके आने के निर्देश दिए गए हैं.
राज्य में बरसात से हुए नुकसान, पानी की कमी, नशे का बढ़ता चलन जैसे मुद्दों पर यह सत्र केंद्रित रह सकता है. जो सवाल विधायकों ने दागे हैं, उनमें ज्यादातर उनके विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित हैं, लेकिन ध्यानाकर्षण में ताजा घटित मुद्दे आ सकते हैं. वीरभद्र सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य पर लगे मनी लॉन्ड्रिंग के केसों के चलते इनकी भूमिका सदन में ज्यादा न होने की संभावना है.
वहीं, आठ महीने के लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस में विपक्ष के नेता का दर्जा मुकेश अग्निहोत्री को मिलने से उनके तेवर कुंद रह सकते हैं. पार्टी अध्यक्ष बदले जाने की तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस में वीरभद्र खेमा बहुत सकते में है. इसलिए वर्तमान अध्यक्ष और विधायक सुखविंदर सुक्खू को भी अपनी दमदार मौजूदगी का एहसास सदन में करवाने का मौका मिलेगा. माना जा रहा है कि हंगामा होना तय है.
दूसरी ओर भाजपा में मंत्रियों की लगातार खराब परफॉर्मेंस के आरोपों के चलते इस बार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उनके कामों पर नजर रखेंगे. उन्होंने विधायक दल की बैठक में भी साफ कह दिया है कि तैयारी करके आएं. फजीहत नहीं होनी चाहिए.
इस बार मानसून सत्र में भाजपा के पुराने दिग्गज प्रेम कुमार धूमल, गुलाब सिंह ठाकुर, रविंदर रवि आदि नहीं होंगे. ऐसे में नए विधायकों की भूमिका पर भी नजर होगी. कुल मिलाकर अभी 8 महीने में जयराम सरकार के खिलाफ कांग्रेस के पास कोई बड़ा मुद्दा हाथ नहीं लगा है, लेकिन प्रशासनिक खामियों पर विपक्ष फोकस कर सकता है.
मुख्य सचिव विनीत चौधरी की सेवानिवृत्ति को महज एक महीने का वक्त बाकी है. इस पद के लिए कतार में लगे अफसर भी अपना बेहतर देने की कोशिश कर सकते हैं.