राज्यसभा चुनाव से शुरू हुई सियासी रार से अब हिमाचल की सुक्खू सरकार पर बन आई है. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर क्रॉस वोटिंग की तो वहीं अगले ही दिन पूर्व सीएम स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. विक्रमादित्य ने सरकार पर विधायकों की अनदेखी के आरोप लगाए और यह भी दावा किया कि कई विधायक सरकार से नाराज हैं. इधर चर्चा सुक्खू के इस्तीफे की भी चल निकली.
सीएम सुक्खू सामने आए और साफ कहा कि योद्धा हूं, हर चुनौती से लड़ने के लिए तैयार हूं. उन्होंने पांच साल सरकार चलाने का दावा किया और इस्तीफे की खबरों को अफवाह बताते हुए कहा कि हमारे पास बहुमत है जो सदन में वोटिंग से साफ हो जाएगा. हम पांच साल सरकार चलाएंगे. विक्रमादित्य ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर एक तरह से यह रेड लाइन खींच दी कि उनका गुट अब आर या पार के मोड में है. वह पीछे नहीं हटेंगे.
दूसरी तरफ, सीएम सुक्खू ने खुद को योद्धा बताते हुए पांच साल सरकार चलाने का दावा कर, इस्तीफे की खबरों को खारिज कर यह साफ कर दिया कि वह कुर्सी नहीं छोड़ेंगे. अब कांग्रेस दुविधा की स्थिति में है. अगर सुक्खू ही सीएम बने रहते हैं तो नाराज विक्रमादित्य गुट के विधायकों के छिटक रहे हैं और सरकार के अल्पमत में आने का खतरा है. अगर सुक्खू को हटाकर विक्रमादित्य गुट के किसी नेता या किसी दूसरे नेता को सरकार की कमान सौंपती है तो नेतृत्व की कमजोरी का संदेश जाएगा.
कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ क्रॉस वोटिंग करने वाले सत्ताधारी दल के छह विधायकों ने हिमाचल विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर से मुलाकात भी की है. क्रॉस वोटिंग के बाद हरियाणा के पंचकूला चले गए छह विधायक विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने के लिए शिमला पहुंचे तो उनमें से कुछ ने खुलकर यह कहा भी कि अब बीजेपी के साथ हैं. यह भी कांग्रेस नेतृत्व के लिए बगावत का स्पष्ट संदेश है.
विधानसभा का नंबरगेम कांग्रेस सरकार के विपरीत नजर आ रहा है लेकिन सुक्खू सरकार बचाने और पांच साल चलाने के दावे कर रहे हैं. कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन जयराम रमेश भी हिमाचल में जारी रस्साकशी के बीच सामने आए और साफ कहा कि अभी हमारी प्राथमिकता सरकार बचाना, ऑपरेशन लोटस को फेल करना है. शिमला से दिल्ली तक, कांग्रेस के नेता सरकार बचाने के दावे तो कर रहे हैं. विधानसभा से बजट पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई है.
सुक्खू सरकार को फिलहाल फौरी राहत मिल गई है. लेकिन सवाल यह भी उठ रहे हैं कि यह राहत कितने दिनों तक रहेगी और क्या सरकार पर छाए संकट के बादल इससे छंट गए हैं? कहा जा रहा है कि सुक्खू सरकार कम से कम विधानसभा के अगले सत्र तक के लिए सुरक्षित हो गई है. लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि जब किसी सरकार के पास संख्याबल है या नहीं, इसे लेकर संशय की स्थिति बनती है तब राज्यपाल किसी भी समय विशेष सत्र बुलाकर उससे सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहते हैं. ऐसे में सुक्खू सरकार को मिली इस फौरी राहत से कांग्रेस को डैमेज कंट्रोल के लिए समय जरूर मिल गया है. अब सवाल यह भी है कि कांग्रेस आखिर डैमेज कंट्रोल करेगी कैसे?
सरकार बचाने के लिए क्या है कांग्रेस का प्लान
हिमाचल चुनाव में क्रॉस वोटिंग के कारण कांग्रेस को उस राज्यसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा जहां पार्टी के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित मानी जा रही थी. हिमाचल के चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद ही कांग्रेस नेतृत्व एक्टिव हो गया और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को पर्यवेक्षक नियुक्त कर शिमला भेजने का ऐलान कर दिया.
कांग्रेस नेतृत्व ने पर्यवेक्षकों और प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ला से हर एक विधायक की समस्या सुनने और इससे निपटने का तरीका खोजने के लिए कहा है. कांग्रेस का प्लान हर विधायक से रायशुमारी कर इस संकट से निकलने का रास्ता निकलने का रास्ता तलाशने की है. जयराम रमेश ने कहा भी है कि इसके लिए हो सकता है कि कुछ कड़े फैसले लेने पड़े तो भी हम पीछे नहीं हटेंगे. अब वह कड़े फैसले कौन से होंगे? यह देखना होगा.
नंबरगेम पक्ष में करने के लिए क्या कर रही है कांग्रेस
छह विधायकों की बगावत के बाद विक्रमादित्य के इस्तीफे से हिमाचल विधानसभा में नंबरगेम उलझ गया है. सुक्खू सरकार के पास कांग्रेस के 40 में से 33 विधायकों का समर्थन बचा है. 68 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 35 है ताजा समीकरण देखें तो कांग्रेस इससे दो पीछे दिख रही है. दूसरी तरफ बीजेपी के पास 25 विधायक हैं. कांग्रेस के सात विधायकों ने बागी तेवर अख्तियार कर लिए हैं तो वहीं दो निर्दलीयों समेत तीन अन्य विधायक भी बागियों और तीन निर्दलीय समेत 10 विधायक जोड़ लें तो 35 विधायक सरकार के खिलाफ नजर आ रहे हैं.
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ऐसी स्थिति से निपटने के लिए भी कांग्रेस ने प्लान पर काम शुरू कर दिया है. विधानसभा से बाहर आने के बाद सीएम सुक्खू ने आजतक से बातचीत की. उन्होंने क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों पर कार्रवाई के सवाल पर कहा कि कुछ हमारे संपर्क में हैं और तीन के खिलाफ व्हिप के उल्लंघन को लेकर स्पीकर के कक्ष में कार्यवाही चल रही है. सीएम सुक्खू ने कहा कि चीफ व्हिप ने हमें बताया है कि बजट को लेकर तीन लाइन का व्हिप जारी किया गया था लेकिन ये विधायक नहीं पहुंचे जिसे लेकर स्पीकर के कक्ष में कार्यवाही शुरू क गई है.
पहले जयराम रमेश ने कहा कि हमें कुछ सख्त फैसले भी लेने पड़ सकते हैं और हम इससे पीछे नहीं हटेंगे. इसके कुछ ही देर बाद सीएम सुक्खू ने व्हिप का उल्लंघन करने को लेकर स्पीकर के कक्ष में कार्यवाही चल रही है. पहले तीन विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही चलने की खबर आई और बाद में सभी छह के खिलाफ एक्शन की बात सामने आई. बजट पर वोटिंग के दौरान व्हिप का उल्लंघन करने के मामले में इन विधायकों को अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है.
विधायक अयोग्य हुए तो कैसे बदल जाएगा नंबरगेम
स्पीकर कांग्रेस का है ऐसे में व्हिप के उल्लंघन मामले में इन विधायकों के खिलाफ कार्यवाही जल्द नतीजे पर पहुंच सकती है. अगर ऐसा होता है कि छह बागी विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है तो हिमाचल विधानसभा का नंबरगेम बदल जाएगा. 68 सदस्यों वाली विधानसभा की स्ट्रेंथ 62 पर आ जाएगी और ऐसे में बहुमत का आंकड़ा भी 32 पर आ जाएगा. विक्रमादित्य को हटा दें तब भी कांग्रेस के पास 33 विधायकों का समर्थन फिलहाल है. इससे सुक्खू सरकार कम से रिक्त छह सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आने तक सुरक्षित हो जाएगी.