भारतीय रेलवे ने हिमाचल प्रदेश के ऊना कोर्ट में गुरुवार को दो डिमांड ड्राफ्ट जमा किए और इसी के साथ नई दिल्ली-ऊना जनशताब्दी की कुर्की रोक ली. कोर्ट ने को आदेश दिए थे कि अगर रेलवे ने 35 लाख 44 हजार रुपये जमा नहीं किए तो गुरुवार सुबह ऊना स्टेशन पर ट्रेन जब्त कर ली जाएगी.
रेलवे ने 26 लाख 53 हजार और 8 लाख 91 हजार के दो डिमांड ड्राफ्ट कोर्ट में जमा किए. ये रकम दो किसान- मेलाराम और मदनलाल को मुआवजे के तौर पर दी जाएगी .
ऊना रेलवे स्टेशन पर चला हाई वोल्टेज ड्रामा
कोर्ट के आदेश के अनुसार कोर्ट का बैलिफ और शिकायतकर्ता स्टेशन पर मौजूद थे. लेकिन रेलवे विभाग के अधिकारियों ने ट्रेन चलने से महज दस मिनट पहले डिमांड
ड्राफ्ट की कॉपी अदालत के कर्मचारी को सौंपकर ट्रेन को जब्त होने से बचा लिया.
कोर्ट ने क्यों दिया ट्रेन कुर्की का ऐतिहासिक फैसला?
दरअसल, मामला मुआवजे से जुड़ा हुआ है. रेलवे ने ऊना से चुरूडू सेक्शन के बीच रेल लाइन बिछाने के लिए किसानों की जमीन ली थी. हालांकि रेलवे ने किसानों को
मुआवजा दिया. लेकिन मेलाराम और मदनलाल का दावा था कि उन्हें कम पैसे मिले. रेलवे ने जब बात नहीं मानी तो 2011 में दोनों ने कोर्ट में अर्जी लगा दी. वहां दोनों
किसान जीत गए.
अदालत ने रेलवे से मेलाराम को 8.91 लाख और मदनलाल को 26.53 लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजा देने के निर्देश दिए. रेलवे ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दे दी. हाईकोर्ट ने स्टे तो दिया पर रेलवे को तीन महीने के अंदर मुआवजे की रकम कोर्ट में जमा करने के निर्देश भी दिए.
रेलवे ने फिर भी पैसे जमा नहीं कराए. इसके बाद हाईकोर्ट ने स्टे खारिज कर दिया और किसानों से कहा कि वो पैसे की वसूली के लिए निचली अदालत में अपील कर सकते हैं. लोअर कोर्ट ने मेलाराम और मदनलाल के पक्ष में फैसला किया.