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हिमाचल में कई जगहों पर जोशीमठ जैसे हालात, सुरंगें और सड़कें बनाने के लिए की जा रही ब्लास्टिंग से दर्जनों घरों में दरारें

जोशीमठ का मुद्दा अभी शांत भी नहीं हुआ था कि हिमाचल प्रदेश के थलौट गांव भी लोगों को घर छोड़ना पड़ रहा है. विकास के लिए बनाई गई सुरगों से जो दरारें लोगों के घरों में आई हैं वो अब उनकी चिंताओं को बढ़ा रहा है. एक ओर लोगों में उनके घर छूटने का दुख है तो वहीं उससे भी ज्यादा दुख है कि उन्हें मुआवजा तक नहीं दिया जा रहा है.

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मंडी जिले के थलौट गांव में घर छोड़ने को मजबूर हुए लोग
मंडी जिले के थलौट गांव में घर छोड़ने को मजबूर हुए लोग

जोशीमठ में घरों और होटलों में आई दरारें सरकारों के लिए चिंता का विषय है. ये मु्द्दा अभी शांत भी नहीं हुआ था कि देश के कई हिस्सों से दरारों का तस्वीरें सामने आ रही हैं. हिमाचल के मंडी जिला के अंतर्गत पड़ने वाले थलौट गांव से भी दरारों की तस्वीरें आ रही हैं. 

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मंडी जिले के थलौट गांव के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके गांव से गुजर रहा मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग और उसकी सुरंगे एक दिन उनके लिए मुसीबत बन जाएंगी. इस गांव से गुजरते राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक सुरंग का निर्माण हो रहा है जिसको जोड़ने के लिए एक सड़क खोदी गई. लेकिन सड़क के लिए खुदाई इतनी लापरवाही से की गई कि पूरा गांव ही खतरे में पड़ गया.

थलौट गांव में धर छोड़ने को मजबूर हुए लोग

इस गांव के निवासी चांद ने बताया कि जब सुरंग के लिए ब्लास्टिंग की जा रही थी, तो गांव के सारे घर कांपने लगते थे. उसके बाद इस सुरंग को सड़क से जोड़ने के लिए खुदाई की गई जिसके कारण तीन महीने पहले घरों में दरारें पड़नी शुरू हो गईं. थलोट गांव के लगभग हर घर में दरारे हैं. प्रशासन ने तीन घरों को तो असुरक्षित घोषित कर दिया है. लोगों को घर खाली करने के लिए कहा गया है, लेकिन मुआवजे के रूप में कुछ नहीं दिया गया.

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चांद की 23 साल की बहन लक्ष्मी घर की हालत देखकर परेशान हो जाती हैं. लक्ष्मी का बचपन इसी घर में बीता, लेकिन अब इस घर की हालत जर्जर हो चुकी है. दीवारों में दरारें इतनी बड़ी हैं कि हल्के से झटके से भी गिर सकती हैं. घर से गुजरती सड़क इस गांव के लोगों के लिए दोहरी मुसीबत लेकर आई है. एक तो पाई-पाई जमा करके बनाया गया घर छोड़ना पड़ रहा है, वहीं दूसरे कड़ाके की सर्दी में बेघर होने का दुख. थलोट में सिर्फ घर ही नहीं बल्कि मार्कंडेय ऋषि का पुराना मंदिर भी नुकसान से नहीं बच पाया. इंसान तो इंसान अब देवता को भी बेघर होने की नौबत आ गई है.

दरार की तस्वीर

स्थानीय लोगों को घर छूटने और मुआवजा न मिलने की चिंता 

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मुआवजे के लिए गुहार लगाई थी कि प्रशासन का रवैया टालू है. दरार पड़ने की वजह से धराशाई होने की कगार पर खड़े इन घरों के मालिकों को बिना कोई मुआवजा दिए घर खाली खाली करने को कह दिया गया. इन लोगों के सामने अब सिर छुपाने का सवाल खड़ा हो गया है. चांद और उनका परिवार अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए हैं. लेकिन उनको पशुओं की देखभाल के लिए अपने असुरक्षित घर में आने पर मजबूर होना पड़ता है.

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लाहौल स्पीति और किन्नौर के 30 फीसदी क्षेत्र में दरारें

इतना ही नहीं हिमाचल के कबाइली जिले किन्नौर में हर साल 40 से 50 बार लैंडस्लाइडस आते हैं. लैंडस्लाइडस के कारण हर साल कई लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं. इन लैंडस्लाइडस के लिए किन्नौर के कई क्षेत्रों में जलविद्युत परियोजनाओं की सुरंगें और सड़क बनाने के लिए की जा रही ब्लास्टिंग जिम्मेवार मानी जा रही है. किन्नौर के दर्जनों गांव के घरों में दरारें आ चुकी हैं और लोग पलायन करने पर मजबूर हैं. ब्लास्टिंग के बाद अपने घर और सेब के बगीचे खोने के बाद अब स्थानीय लोग जल विद्युत परियोजनाओं के विरोध में खड़े हो गए हैं.

राजधानी शिमला में भी कई जगह पर धंस रही है जमीन

हिमाचल की राजधानी शिमला का दिल रिज मैदान धीरे-धीरे करके धंस रहा है. महज 25,000 की जनसंख्या के लिए बसाया गया शिमला शहर अब अपने ही बोझ से परेशान है. जनसंख्या और बेतरतीब निर्माण अब शिमला के लिए खतरा बन चुके हैं. शिमला शहर के कई हिस्से जिनमें लक्कड़ बाजार, कृष्णा नगर, ग्रैंड होटल, लद्दाखी मोहल्ला, सब्जी मंडी, ढली सहित भट्टाकुफर आदि कई जगहों जमीन धंसने के साथ-साथ अब भूस्खलन आम हो गया है.

राजधानी शिमला चूंकि सेस्मिक जोन 4 के अंतर्गत आता है, इसलिए यहां के कई पुराने भवन और घर असुरक्षित करार दिए जा चुके हैं. शिमला के अलावा सोलन, धर्मशाला, चंबा, मैकलोडगंज, कांगड़ा और मनाली में भी भूस्खलन आम है. कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर और बिलासपुर सेस्मिक जोन पांच में और किन्नौर लाहौल स्पीति शिमला और सोलन सिरमौर सशमिक्स जोन 4 के अंतर्गत आते हैं.

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जोशीमठ जैसे हालात देखकर मुख्यमंत्री ने केंद्र से की मांग

उत्तराखंड के जोशीमठ के हालात जैसे-जैसे बिगड़ते जा रहे हैं वैसे ही हिमाचल प्रदेश सरकार की चिंताएं भी बढ़ रही हैं. क्योंकि कुछ इसी तरह के हालात हिमाचल में भी कई जगहों पर देखने को मिल रहे हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को मौसम विभाग के स्थापना दिवस के मौके पर केंद्र सरकार से अपील की कि प्रदेश को चार डॉपलर मौसम रडार सिस्टम उपलब्ध करवाए जाएं. मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि एक टीम भेजकर जमीन धंसने और लैंडस्लाइड का खतरा झेल रहे क्षेत्रों का सर्वेक्षण करवाया जाए.

हालांकि सोमवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने साफ किया कि फिलहाल राज्य में जोशीमठ जैसी आपातकालीन स्थिति नहीं ,है लेकिन फिर भी हिमाचल की जमीन कई जगहों पर लगातार धंस रही है, जिससे जानमाल को खतरा हो सकता है.

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