देश की राजधानी दिल्ली में अगर बीजेपी नेता अरुण जेटली के फोन कॉल्स की जासूसी पर सियासत गर्म है तो शिमला का सर्द मौसम एक नए बवाल से गरम हो गया है.
हिमाचल प्रदेश में फोन टैपिंग के आरोपों की जांच कर रही एक तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट आई है. सरसरी तौर पर रिपोर्ट से जो जानकारी बाहर आई है. उसके मुताबिक हिमाचल प्रदेश में एक हजार से ज्यादा फोन टैप किए गए. फोन टैपिंग की ये घटनाएं 2008 से 2012 के बीच हुईं, जब प्रेम कुमार धूमल की बीजेपी सरकार हिमाचल प्रदेश की सत्ता में थी.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक वीरभद्र सिंह के सत्ता संभालने के रोज ही 25 दिसंबर को सीआईडी मुख्यालय के कंप्यूटर से एक हार्ड डिस्क जब्त किया गया था. उसी की जांच के बाद ये जानकारी सामने आई है. सूत्रों के मुताबिक जिन लोगों के फोन टैप हुए उनमें ज्यादातर कांग्रेस नेता हैं. कुछ नौकरशाह, बीजेपी के विक्षुब्ध नेताओं और पत्रकारों के भी फोन टैप हुए.
उधर, प्रेम कुमार धूमल ने फोन टैपिंग के आरोपों से सरासर इनकार किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सनसनी फैलाने के मकसद ये आरोप लगाया है और इसकी हाईकोर्ट के जज से जांच होनी चाहिए. इस मामले में हिमाचल प्रदेश के डीजीपी आईडी भंडारी पर गाज गिर चुकी है. फोन टैपिंग काल में भंडारी सीआईडी में एडीजीपी थे.