हिमाचल के जनजातीय जिले लाहौल स्पीति में काजा उपमंडल के अंतर्गत आने वाले ग्यू क्षेत्र में शनिवार को भीषण हिमस्खलन हुआ, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया. हिमस्खलन का रुख सीधे इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) के कैंप की ओर था, लेकिन सौभाग्यवश यह शिविर से महज 200 फीट पहले रुक गया. ITBP के जवान उस समय बर्फ हटाने के कार्य में जुटे थे. गनीमत रही कि किसी भी जवान को कोई चोट नहीं आई और न ही किसी प्रकार की संपत्ति का नुकसान हुआ.
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हालांकि, इस घटना ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती को उजागर कर दिया है. ITBP की टीमें क्षेत्र की कड़ी निगरानी कर रही हैं, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सके. वहीं जिला प्रशासन ने आम जनता और यात्रियों से सतर्क रहने की अपील की है और किसी भी आपातकालीन स्थिति में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) से संपर्क करने को कहा है. इसके अलावा, विशेषज्ञों का मानना है कि हिमालयी क्षेत्रों में यात्रा करने से पहले मौसम की पूर्वानुमान रिपोर्ट पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि किसी बड़े खतरे से बचाव किया जा सके.
हिमालयी ऊंचाई पर हिमस्खलन अक्सर भारी नुकसान कर सकते हैं, लेकिन इस बार कुदरत के रौद्र रूप के बावजूद कोई भी बड़ा नुकसान नही हुआ है. यहां के स्थानीय मौसम विज्ञान केंद्र ने 3 मार्च को हिमाचल प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर तूफान और बिजली गिरने के साथ भारी बारिश और बर्फबारी की चेतावनी जारी की है. मौसम विभाग ने 3 मार्च को चंबा, कांगड़ा, लाहौल और स्पीति के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. इससे पहले रविवार को राज्य में मौसम शुष्क रहा और अधिकतम तापमान में काफी वृद्धि दर्ज की गई.
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राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि रविवार को भी प्रमुख सेवाओं की बहाली का काम जोरों पर जारी रहा. बर्फबारी और लैंडस्लाइड के कारण हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में, 365 सड़कें और तीन राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हैं, और 1,377 बिजली ट्रांसफार्मर और 269 जल आपूर्ति योजनाएं बाधित हो गई हैं. उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर हिमस्खलन हुआ, लेकिन जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ.
(रिपोर्ट- मनमिन्दर अरोड़ा)