scorecardresearch
 

10 बार विधानसभा चुनाव में हुई जीत, एक गलती से खत्म हो गई राजनीतिक पारी

अपने 43 साल के राजनीतिक करियर में विद्या स्टोक्स ने अब तक 10 विधानसभा चुनाव जीते हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत वर्ष 1974 मैं बतौर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर की थी. उन्होंने पति लालचंद स्टोक्स के निधन के बाद पहली बार ठियोग विधानसभा चुनाव क्षेत्र से चुनाव जीता था. हालांकि, उनको दो बार वर्ष 1977 और 1993 में हार का सामना भी करना पड़ा.

Advertisement
X
विद्या स्टोक्स.
विद्या स्टोक्स.

Advertisement

हिमाचल से 89 साल की वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्या स्टोक्स ने यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके राजनीतिक कैरियर की समाप्ति कुछ इस तरह से होगी. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए अपनी सीट का बलिदान करने वाली विद्या स्टोक्स ने वैसे तो राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी थी, लेकिन जब मुख्यमंत्री ने ठियोग के स्थान पर अर्की  विधानसभा चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ने का फैसला लिया तो वह अपनी सीट से मनपसंद नेता के लिए टिकट चाहती थी.

लेकिन पार्टी हाईकमान ने दीपक राठौर को पार्टी टिकट दे दिया जो उनको पसंद नही था. विद्या स्टोक्स ने अपने समर्थकों की सलाह पर आनन-फानन में नामांकन दाखिल कर दिया, लेकिन मंगलवार को छटनी के दौरान कुछ तकनीकी खामियां पाए जाने के कारण उनका नामांकन रद्द कर दिया गया.

Advertisement

पार्टी हाईकमान ने पहले विद्या स्टोक्स को भरोसा दिलाया था कि दीपक राठौर चुनाव मैदान से पीछे हट जाएंगे और उन्हें ही पार्टी का प्रत्याशी बनाया जाएगा, लेकिन न तो पार्टी हाईकमान ने दखल दिया और न ही दीपक राठौर चुनाव मैदान से हटे. सूत्रों की माने तो अब कांग्रेस की परंपरागत ठियोग विधानसभा सीट खतरे में है.

उधर, विद्या स्टोक्स के मामले में कांग्रेस पार्टी आलाकमान की लापरवाही भी सामने आई है. विद्या स्टोक्स को इस तरह से पार्टी से रिटायर कर देना कांग्रेस को नागवार गुजर सकता है.

अपने 43 साल के राजनीतिक करियर में विद्या स्टोक्स ने अब तक 10 विधानसभा चुनाव जीते हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत वर्ष 1974 मैं बतौर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर की थी. उन्होंने पति लालचंद स्टोक्स के निधन के बाद पहली बार ठियोग विधानसभा चुनाव क्षेत्र से चुनाव जीता था. हालांकि, उनको दो बार वर्ष 1977 और 1993 में हार का सामना भी करना पड़ा.

अब स्टोक्स के पास चुनाव लड़ने का कोई विकल्प मौजूद नहीं है. वह अपना नामांकन रद्द करने को चुनौती भी नहीं दे पाएंगी. इस तरह से हिमाचल की सबसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की राजनीति से अचानक विदाई हो गई है.

वीरभद्र के विरोधी खेमे की हैं विद्या

Advertisement

स्टोक्स एक लंबे समय तक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विरोधी खेमे में रही हैं. वह अमेरिका से आए सत्यनाम स्टोक्स की बहू हैं, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश में पहली बार सेब की खेती शुरू की. स्टोक्स 2010 में 83 साल की उम्र में हॉकी इंडिया की अध्यक्ष भी चुनी गई थी.

Advertisement
Advertisement