हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इनकम टैक्स के जाल में फंसते दिख रहे हैं. सेब बेचकर कमाए गए 6.56 करोड़ रुपये के बारे में अब रहस्य गहराता जा रहा है.
ठीक बिहार के चारा घोटाले की तरह जिसमें चारा स्कूटरों से भेजे जाने के फर्जी बिल बनाए गए थे, यहां भी सेब स्कूटरों और ऑयल टैंकरों से भेजे गए! याद रहे कि वीरभद्र सिंह पर केन्द्रीय मंत्री के तौर पर रिश्वत लेने का आरोप है. यह खबर इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने दी है.
इनकम टैक्स अधिकारियों को इस मामले में दिलचस्प बातें पता चल रही हैं. दरअसल वीरभद्र सिंह ने 2009-10 में अपने बाग से सेब बेचकर 6.56 करोड़ रुपये कमाने का दावा किया और अपने इनकम टैक्स रिटर्न में उसका उल्लेख किया. इनकी जांच से अब ये बातें सामने आ रही हैं.
इस हफ्ते इनकम टैक्स अधिकारियों ने वीरभद्र सिंह और आनंद चौहान को अलग-अलग नोटिस भेजे. आनंद चौहान वीरभद्र सिंह के इंश्योरेंस एजेंट हैं. वह उनके श्रीखंड स्थित सेब के बागान देखते हैं. उनसे इस रिटर्न के बारे में पूछताछ की गई. इनकम टैक्स अधिकारियों ने सिंह के 2010-11 के असेसमंट को फिर से खोलने का फैसला किया है क्योंकि इसमें विसंगतियां थीं.
बताया जाता है कि चौहान ने दावा किया कि उन्होंने परवानू के यूनिवर्सल एसोसिएट को सेब भेजे थे. उस कंपनी के मालिक चुन्नीलाल ने टैक्स अधिकारियों को उन 18 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर दिए जिन पर ये सेब लादकर भेजे गए. इनकम टैक्स अधिकारियों ने जब जांच की तो उन्हें अजीबोगरीब बातें मालूम हुईं.
मसलन इनमें से गाड़ियां दरअसल स्कूटर थीं. इसके अलावा एक नंबर एक ऑयल टैंकर का था. एक नंबर के बारे में पता चला कि यह कभी इश्यू नहीं हुआ. इनके अलावा कुछ गाड़ियां ऐसी हैं जिन पर सेब नहीं लादे जा सकते. कुछ नंबर तो एक जैसे हैं. अब अधिकारी कह रहे हैं कि चुन्नीलाल को सेब नहीं बेची गई और ये सभी पैसा अवैध है. 2012 में वीरभद्र सिंह ने नया टैक्स रिटर्न फाइल किया है जिसमें उन्होंने अपनी इनकम को घटाकर दिखाया है.