शिमला में जल संकट काबू से बाहर हो चुका है. आलम यह है कि रातों में भी लोग पानी के लिए सड़कों पर कतार लगा रहे हैं. सोमवार रात पानी के संकट से राहत की उम्मीद में लोग मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के आवास पर पहुंचे. लेकिन यहां भी उन्हें कोई समाधान नहीं मिला.
मालूम हो कि शिमला में पानी का संकट इस कदर है कि हर आठवें दिन पानी नहीं आ रहा है. वहीं लोग दुकानों से मिनरल वॉटर खरीदकर काम चला रहे हैं. टूरिज्म और होटल व्यवसाय पर पानी की किल्लत का बुरा असर पड़ा है. कई होटल तो बंद हो गए हैं, वहीं जो होटल चल रहे हैं वहां पर्यटकों को एक बाल्टी पानी दिया जा रहा है.
शहर में पानी न आने की वजह से बिगड़ते हालात देखकर हाईकोर्ट ने मंगलवार को नगर निगम कमिश्नर और म्यूनिसिपल इंजीनियर को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं.
शिमला में जल संकट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शहर की चार करोड़ लीटर यानी 40 एमएलडी के मुकाबले सिर्फ 1 करोड़ 90 लाख लीटर यानी 19 एमएलडी पानी ही मिल पा रहा है. पानी की कमी के चलते पहली बार तीनों न्यायालयों में सोमवार को काम बंद रहा. हाईकोर्ट समेत जिला सत्र न्यायालय औऱ प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में भी पानी की कमी के चलते काम नहीं हो पाया.
पानी के संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आपात बैठक बुलाकर हालात पर कंट्रोल करने के आदेश दिए. इस बैठक के बाद मुख्य सचिव विनीत चौधरी स्वयं नगर निगम के कंट्रोल रूम में पहुंचे. फिर नगर निगम के अधिकारियों और जिला प्रशासन के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा लिया.
कांग्रेस का अल्टीमेटम
राजधानी शिमला और आस पास के क्षेत्रों में पानी की बढ़ती समस्या को लेकर कांग्रेस ने सरकार को तीस मई तक का अल्टीमेटम दिया है. शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह और कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि तीस मई तक शहर में पानी के हालात न सुधरे तो वह पहले निगम का घेराव करेंगे और बाद में शहर में चक्का जाम करेंगे.