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PMO अधिकारी बनकर घूमने वाले ठग किरण पटेल को 15 दिन की न्यायिक हिरासत

ठग किरण पटेल ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का एक शीर्ष अधिकारी बताकर जम्मू-कश्मीर में शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठकें की थीं. आज शुक्रवार को ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया है.

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जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फर्जी पीएमओ अधिकारी को पकड़ा
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फर्जी पीएमओ अधिकारी को पकड़ा

किरण पटेल को कोर्ट ने 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. ठग ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का एक शीर्ष अधिकारी बताकर जम्मू-कश्मीर में शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठकें की थीं. आज शुक्रवार को ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया है.

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श्रीनगर के निशात पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, किरण पटेल इस पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र और कश्मीर घाटी के अन्य हिस्सों में गतिविधियों में शामिल था.' पकड़े जाने से पहले तक उसने सरकारी आतिथ्य (Official Hospitality) का आनंद लिया. साथ ही उसे एक निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) और एक लक्जरी होटल में कमरा भी दिया गया था. किरण पटेल पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

बता दें कि किरण भाई पटेल के रूप में पहचाने जाने वाले कथित ठग ने खुद को पीएमओ में एडीश्नल डायरेक्टर के पद पर बताया था. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि किरण पटेल पिछले साल अक्टूबर से कश्मीर घाटी का दौरा कर रहा था. गिरफ्तार होने से पहले वह नियंत्रण रेखा (एलओसी) के करीब उरी में कमान पोस्ट से होते हुए श्रीनगर के लाल चौक तक पहुंचा था.

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2020 में आया था ऐसा मामला

गौरतलब है कि ये कोई पहला मामला नहीं है जब किसी ने खुद को पीएमओ का अधिकारी बताकर ठगी की हो, बल्कि पहले भी ऐसे मामले आते रहे हैं. साल 2020 में दिल्ली पुलिस ने ऐसे ही एक शातिर ठग को गिरफ्तार किया था, जिसने मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर अपना एक फेक प्रोफाइल बना रखा था. आरोपी खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय कार्यालय में मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी बताता था और लोगों पर रौब झाड़ता था.

आरोपी का नाम मुदित है. उसने अपने प्रोफाइल पर लिखा था कि वो कई फैक्टरियों का मालिक है. साथ ही महंगी और लक्सरी कार किराए पर दे रखी हैं. वह बेहद चालाकी से तलाकशुदा उन कामकाजी महिलाओं को टारगेट करता था, जो कम से कम एक लाख रुपये महीना कमाती हों. भरोसा जीतने के बाद वह कभी फैक्ट्री में नुकसान की बात करता, तो कभी अपनी कार के एक्सीडेंट की बात कहता और महिला से पैसे मांगने लगता. जब मुदित को लगता कि महिला पूरी तरह उसके वश में है, तो वह पर्सनल लोन भी उसी के एकाउंट से ले लेता. फिर जब उसे लगता कि सामने वाली महिला के पास अब पैसे नहीं है, तो वो गायब हो जाता और अपना मोबाइल नंबर भी बदल देता.

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