प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जम्मू-कश्मीर में भयावह बाढ़ के बाद बचाव और राहत अभियान तेज करने में राज्य सरकार को पूरा सहयोग दें. उन्होंने प्रभावित लोगों तक जरूरी चीजें तेजी से पहुंचाने की जरूरत पर जोर दिया.
राज्य में राहत अभियानों की समीक्षा के लिए बुधवार देर शाम आयोजित आपात बैठक की अध्यक्षता करते हुए नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भीषण आपदा में प्रभावित लोगों तक भोजन और पानी जैसी बुनियादी जरूरी चीजें पहुंचाने पर तत्काल ध्यान दिया जाए.
प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि पहली प्राथमिकता श्रीनगर शहर में प्रभावित लोगों तक जरूरी चीजें पहुंचाने की होगी. प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, मोदी ने गृह मंत्रालय को भी निर्देश दिया कि श्रीनगर में स्थानीय प्रशासन के साथ राहत अभियान में मदद करने के लिए दिल्ली तथा अन्य राज्यों से वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल भेजा जाए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीनगर के जलमग्न इलाकों में स्वास्थ्य और स्वच्छता तय करने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है. प्रधानमंत्री को जानकारी दी गई कि दूरसंचार के संपर्क बहाल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और श्रीनगर में करीब 8000 लैंडलाइन सक्रिय हो गई हैं.
मोबाइल सेवा मुहैया करने वाली कंपनी एयरसेल के माध्यम से मोबाइल सेवाओं को भी आंशिक रूप से बहाल कर दिया गया है. प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को स्वैच्छिक संगठनों के राहत कार्यों के साथ भी तालमेल करने को कहा. बैठक में पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, कैबिनेट सचिव अजीत सेठ, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा, प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव, केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों और रक्षा बलों के अधिकारियों ने भाग लिया.
वक्तव्य के मुताबिक, सशस्त्र बलों और एनडीआरएफ ने अब तक कुल 76,000 लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है. भोजन, पानी और आवश्यक दवाओं को पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है. सेना ने राहत अभियानों में अपने 30 हजार सैनिकों को लगा रखा है. वहीं वायुसेना के 80 विमानों की सहायता ली जा रही है, जिनमें सी-17 परिवहन विमान व हेलिकॉप्टर शामिल हैं.