जम्मू कश्मीर में डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं की रिहाई के बाद सियासी हलचल बढ़ गई है. वहीं, 221 दिनों तक नजरबंद रहने के बाद उमर अब्दुल्ला ने पहला इंटरव्यू इंडिया टुडे को दिया. उन्होंने कहा कि हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. फारूक अब्दुल्ला ने मुखर होकर अनुच्छेद-370 के खिलाफ आवाज उठाई थी और आज भी उठा रहे हैं. केंद्र का फैसला राज्य के लोगों के हित में नहीं है.
गुपकार समूह की बैठक पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह 4 अगस्त 2019 को शुरू हुआ एक सिलसिला है. आज हम इसे एक उचित नाम, औपचारिक संरचना और एक वाजिब एजेंडा देने के लिए मिले. यह अवसरवादी गठबंधन नहीं है. लेकिन ये राजनीतिक है. इसे सामाजिक गठबंधन नहीं कह सकते.
उमर ने कहा कि असंवैधानिक और गैरकानूनी रूप से हमसे जो छीन लिया गया था, उसे वापस पाने का यह एक संवैधानिक और शांतिपूर्ण तरीका है. चीन के जम्मू कश्मीर के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी पर उमर अब्दुल्ला ने तंज भरे लहजे में कहा कि अनुच्छेद-370 चीन की मदद से वापस आ जाएगा, जो बीजेपी प्रवक्ता का फॉर्मूला है. हमारी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में है. कोई भी सरकार हमेशा के लिए नहीं रहती. हम इंतजार करेंगे. हम हार नहीं मानेंगे.
गौरतलब है कि गुरुवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने गुपकार समूह की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन समेत वो नेता शामिल हुए, जिन्होंने अनुच्छेद-370 को लेकर चार अगस्त 2019 को साझा बयान जारी किया था. सभी नेताओं ने अनुच्छेद 370 हटाने को गलत ठहराया है और वापस इसे लागू करने की मांग की है.
बता दें कि गुपकार समूह, छह राजनीतिक दलों का वह समूह है जो जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए लड़ाई लड़ रहा है. इस समूह का गठन 22 अगस्त 2019 को फारूक अब्दुल्ला के गुपकार रोड स्थित आवास पर हुई बैठक में किया गया था. गुपकार समूह ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को असंवैधानिक करार देते हुए इसकी बहाली के लिए संघर्ष करने का ऐलान किया था.
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक दिन पहले हुआ था गठन
गुपकार समूह के गठन की नींव जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक दिन पहले ही पड़ गई थी, जब फारूक अब्दुल्ला के गुपकार रोड स्थित आवास पर इन्हीं छह दलों की बैठक हुई थी जो समूह के सदस्य हैं. बैठक के बाद साझा बयान जारी किया गया था, जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा, पहचान और संविधान बरकरार रखने को लेकर सभी सदस्य दलों ने सहमति जताई थी.