'INDIA' ब्लॉक में लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस की बात यूपी में सपा से और दिल्ली एवं गुजरात में आप से भले ही बन गई हो लेकिन जम्मू कश्मीर में पेंच अभी भी फंसा हुआ नजर आ रहा है. ऐसा नेशनल कॉन्फ्रेंस लीडर एवं पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के आज दिए एक बयान के बाद लग रहा है.
दरअसल, उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि 'INDIA' ब्लाक का गठन भाजपा की सीटें कम करने के लिए किया गया है, न की गठबंधन के सहयोगियों की. इसके साथ ही उमर अब्दुल्ला ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फेंस 2019 लोकसभा चुनाव में कश्मीर में जीती हुई तीन सीटों में से कोई भी सीट नहीं छोड़ेगी.
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बयान उन अटकलों के बीच आया है जिनमें ये कहा जा रहा था कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीट सीट बंटवारे पर सहमति बन गई है. खबरों के अनुसार कांग्रेस पार्टी के जम्मू, उधमपुर और लद्दाख सीट पर चुनाव लड़ने की बात सामने आई थी. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के खाते में श्रीनगर एवं बारामूला जबकि पीडीपी के अनंतनाग सीट पर चुनाव में उतरने की बात कही जा रही थी.
बीते आम चुनाव में नेशनल कॉन्फेंस ने श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग की सीट जीती थीं, जबकि भाजपा ने जम्मू, उधमपुर और लद्दाख में जीत हासिल की थीं. पीटीआई से बात करते हुए उमर ने कहा कि उनकी पार्टी को एक सीट क्यों छोड़नी चाहिए? 'INDIA' गठबंधन का मकसद बीजेपी की सीटें कम करना है, न कि गठबंधन के सदस्यों की सीटें कम करना. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी केवल तीन सीटों पर चर्चा कर रही है.
सीट बंटवारे को लेकर 'INDIA' ब्लॉक के सहयोगियों की हाल ही में एक बैठक नई दिल्ली में हुई थी. उमर ने बताया कि बैठक में कांग्रेस पार्टी द्वारा कुछ प्रस्ताव रखे गए थे. जिन पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के भीतर चर्चा की आवश्यकता थी. दिए गए प्रस्ताव में से एक को NC के वरिष्ठ नेताओं ने ठुकरा दिया था. उन्होंने बताया कि दूसरे दौर की बातचीत जल्द होगी. इसके लिए वो दिल्ली जाएंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी केवल उन सीटों पर चर्चा करेगी जो फिलहाल भाजपा के पास हैं.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लोकसभा की कुल 6 सीटें हैं. जिनमें से तीन सीटें एनसी के पास हैं. उमर ने कहा कि इसलिए वो केवल तीन सीटों पर कांग्रेस से बात करेंगे जो की काफी मुश्किल होने वाला है.
जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद से विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि बीते साल दिसंबर में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद यहां विधानसभा का चुनाव 30 सितंबर से पहले होना है. उमर ने कहा कि चुनाव आयोग मार्च में यहां आ रहा है, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि कुछ अच्छी खबरें सुनने को मिलेंगी.