श्रीनगर में मंगलवार की शाम 80 वर्षीय दिल के मरीज को अस्पताल ले जा रही लाल बत्ती लगी एंबुलेंस को जांच के लिए कोर्ट अधिकारी ने आधे घंटे तक रोक लिया, जिससे मरीज की मौत हो गई. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना पर खेद जताया और कहा है कि वह इस घोर लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए हाई कोर्ट जाएंगे.
80 वर्षीय अब्दुल रहमान डार के परिजन का आरोप है कि ट्रैफिक पुलिस ने सीलू में एंबुलेंस को लाल बत्ती और सायरन के लिए रोका, अब्दुल रहमान डार को दिल का दौरा पड़ा था और उन्हें श्रीनगर के एसकेआईएमएस अस्पताल ले जाया जा रहा था. संबंधित अधिकारियों ने एंबुलेंस पर लगा सायरन उतरवाया और उसे सड़क के किनारे वाहन खड़ा करने को कहा. एंबुलेंस के चालक ने कहा भी कि मरीज की हालत नाजुक है और उन्हें जाने दें, लेकिन संबंधित अधिकारी नहीं माने.
जब वह अस्पताल पहुंचे तो मरीज की मौत हो गई. डार के परिजन ने बताया कि डॉक्टरों का कहना था कि अगर उसे समय रहते अस्पताल पहुंचाया गया होता तो उनकी जान बच सकती थी. खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पुलिस महानिरीक्षक से घटना के बारे में रिपोर्ट मांगी और बाद में ट्विटर पर टिप्पणी करके मामले को हाई कोर्ट में उठाने की बात की है. उमर ने लिखा, 'पुलिस ने एंबुलेंस को नहीं रोका बल्कि एक मोबाइल मजिस्ट्रेट ने उसे रोका जो अदालत के अधिकारी हैं. मामले को औपचारिक तरीके से हाई कोर्ट में उठाएंगे.'
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश और राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा वाहनों से लाल बत्ती हटाने की पैरवी करने के चौबीस घंटे के भीतर ही राज्य पुलिस के महानिदेशक अशोक प्रसाद ने अपने सभी सरकारी वाहनों से लाल बत्ती हटवा दी है.