गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी जम्मू-कश्मीर यात्रा के दूसरे दिन आज रविवार को जम्मू में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के नए कैंपस का उद्घाटन किया. 210 करोड़ रुपये की लागत से बने IIT जम्मू के नए कैंपस में छात्रों की उच्च शिक्षा के साथ-साथ अच्छे छात्रावास, जिमनेज़ियम (Gymnasium) और इंडोर गेम्स जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं.
अमित शाह ने कश्मीर को क्या सौगातें दीं?
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि आज एक पवित्र दिन है, पंडित प्रेमनाथ डोगरा जी का जन्मदिन है और सिर्फ़ जम्मू ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लोग प्रेमनाथ डोगरा जी को कभी भुला नहीं सकते. ये वो महान शख़्सियत थी जिन्होंने प्रजा परिषद की स्थापना करके, श्यामा प्रसाद जी के साथ, एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे, का नारा दिया. उन्होंने आगे कहा कि अब जम्मू निवासियों के साथ अन्याय का समय समाप्त हो गया है और अब कोई आपके साथ अन्याय नहीं कर सकता. आपने सालों तक अन्याय झेला है लेकिन अब जम्मू और कश्मीर का विकास एक साथ होगा और दोनों मिलकर भारत को आगे बढ़ाने के लिए एक साथ प्रयत्न करेंगे. उन्होंने कहा कि आज यहां पर जो विकास का युग शुरू हो रहा है, इसमें ख़लल पहुंचाने वाले ख़लल डाल रहे हैं. लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जम्मू-कश्मीर के विकास को कोई रोक नहीं पाएगा.
विपक्ष पर कसा तंज
गृहमंत्री ने खुशी जाहिर की कि अब घाटी में विकास होता दिख रहा है. उन्होंने बोला कि आज यहां ढेर सारी योजनाओं का उद्घाटन हुआ है. एक ज़माना था जब जम्मू कश्मीर में सिर्फ़ चार मेडिकल कॉलेज थे और आज जम्मू कश्मीर में सात नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो चुकी है, जिनमें से पांच शुरू हो चुके हैं. पहले 500 मेडिकल की सीटें थीं, अब 2000 छात्र यहां से एमबीबीएस कर सकते हैं और किसी को कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है. आज जिस आईआईटी के कैपंस का उद्घाटन यहां हुआ है वैसा आधुनिक आईआटी का कैंपस मैंने नहीं देखा. आईआईटी, आईआईएम और एम्स तीनों संस्थान मिलकर नए प्रकार के कोर्स की रचना करके एक दूसरे के पूरक कैसे बनेंगे, इसकी भी चिंता की गई है.
गृह मंत्री ने कहा कि कुछ लोग सुरक्षा के बारे में सवाल उठाते हैं उनको मैं कुछ आंकड़े देना चाहता हूँ. 2004-2014 के बीच में 2081 नागरिकों की मृत्यु हुई, प्रति वर्ष 208 नागरिक मारे गए. 2014 से सितंबर 2021 तक 239 नागरिकों ने दुर्भाग्यपूर्ण तरीक़े से जान गंवायी है जो कि 208 की जगह प्रतिवर्ष 30है. हम ऐसी स्थिति का निर्माण करना चाहते हैं जिसमें यहां एक भी व्यक्ति की जान न जाए और दहशतगर्दी पूर्णतः समाप्त हो जाए.